ईद पर्व

हर तरफ दर्द है आह है ईद मनाऊँ कैसे

खुदा भी हमसे खफा है ईद मनाऊँ कैसे।

अब मेरे दोस्त तुझे सीने से लगाऊँ कैसे

दूर से हाथ हिलाकर ईद मनाऊँ कैसे

दर्द ऐसा है सँभाले नहीं सँभलता है।

अश्क आँखों में सजाकर ईद मनाऊँ कैसे।

यह दुआ है कि कोई दीया अब ना बुझने पाए।

मुस्कुराहटें हैं हर तरफ पर ईद मनाऊँ कैसे।

सबने खो दिया अपनों को मगर उम्मीद बाकी है।

मायूसी है उदासी है हर सुबह ईद मनाऊँ कैसे।

जब मेरे देश से यह अंधेरा चला जाएगा।

तब ईद की खुशियाँ होंगी मगर अभी ईद मनाऊँ कैसे।।


रचयिता
तस्लीम रज़ा ख़ां,
सहायक अध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय गुन्जी,
विकास खण्ड-धारचूला,
जनपद-पिथौरागढ़।


Comments

  1. बहुत उम्दा

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  2. Tasleem sir bohot shandar nazam lgi aapki aap sbko eid Mubarak

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