चन्दन बनना

कठिन परिस्थितियों में तपकर

सीखें आओ कुन्दन बनना,

निपट भुजंग संग रहकर भी

आओ सीखें चन्दन बनना।


मित्र, शत्रु, अपना-पराया

तुम सदा तुला सम रहना,

प्रेम का सबको तिलक लगाना

सबका ही अभिनन्दन बनना।

        आओ सीखें चन्दन बनना...


देख के दुनिया का कोलाहल 

कदम न पीछे हटने पायें,

भव सागर से मोती चुनकर

माला जैसा बन्धन बनना।

         आओ सीखें चन्दन बनना...


अमिय, हलाहल यहीं मिलेंगे

यहीं मिलेगा बैकुण्ठ धाम,

कसम कोई न टूटने पाये

ऐसा अटूट गठबन्धन बनना।

         आओ सीखें चन्दन बनना...


जीवन पथ पर मिलने वाला

हर पथिक स्नेह न देगा,

तुम अपने मन, वचन, कर्म से

हर जीवन का वन्दन बनना।

         आओ सीखें चन्दन बनना...


रचयिता
आरती रावत पुण्डीर,
प्रधानाध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय असिंगी,
विकास खण्ड-खिर्सू,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।



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