अपना परिवार

सुन्दर-सुन्दर प्यारा-प्यारा,

है अपना परिवार।

यही हमारी दुनिया है,

और यही संसार।


परिवार में होता जन्म हमारा,

मिलती खुशियाँ अपार।

इसी से है अस्तित्व हमारा,

और यही आधार।


ईश्वर ने दिया है हम सबको,

ये अनुपम उपहार।

अनगिनत समाए हैं इसमें,

खुशियों के भण्डार।


दादा-दादी का प्यारा मिले,

और मिलें संस्कार।

जीवन जीने की कला सिखाए,

बस केवल परिवार।


मम्मी-पापा के दिल के हैं,

हम सब राजकुमार।

मम्मी-पापा ही उठाते हैं,

हम सब के नख़रे हज़ार।


प्यारी सी बहना से मिलता,

हमको राखी का प्यार।

उसकी एक मुस्कान पे वारूँ,

अपनी खुशियाँ हज़ार।


भाई हमारा सबसे प्यारा,

वो है यारों का यार।

ढाल बने वो संकट में,

और मुश्किल में तलवार।


पत्नी भी बेटी बनकर के,

सजाती हैं घर और द्वार।

इनकी मेहनत व समर्पण से,

बन जाए स्वर्ग परिवार।


सुख में हमारे साथ है हँसता,

दुःख में रोता परिवार।

साथ ना दे जब दुनिया सारी,

साथ रहे परिवार।


एक माला के मोती हैं हम,

है एकता में शक्ति अपार।

बिखर गई जो माला हमारी,

तो हम सब हैं बेकार।


दुआ हमारी है बस इतनी,

कभी बिखरे ना परिवार।

रहें सलामत खुशियाँ सबकी,

रहे सलामत प्यार।


रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

Comments

Total Pageviews