अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस

प्रथम उपचारिका होती है माँ,

एक नवजात शिशु के लिए।

वैसे अस्पतालों में अनगिनत,

उपचारिकाएँ हैं जन-जन के लिए।।


अब तो रोग परीक्षण में जानकार

होती हैं ये उपचारिकाएँ।

तथा मानव उद्वेगों को कम करने में

सक्षम हैं ये उपचारिकाएँ।।


रोग का मन से गहरा ताल्लुक है,

विश्वास न हो तो इलाज अधूरा है।

विश्वासपूर्वक दवा को इस्तेमाल करें

तभी समझो तुम्हारा इलाज अब पूरा है।।


इतिहास गवाह है तमाम उपचारिकाओं के,

दवा से अधिक कारगर उनके मनोभाव हैं।

उनकी संवेदना, व्यवहार, मीठी बोली

रोगों को मिटाने में कारगर हो जाती है।


फ्लोरेंस नाइटिंगेल की याद में मनाते हैं,

यह दिवस प्रतिवर्ष १२ मई को।

मशहूर थी वह लेडी विद द लैंप से

महाउपचारिका का जन्म हुआ १८२० को।‌


आओ संकल्प करें उनके एहसानों का

प्रणाम करें, मातृशक्ति रूप पहचानने का।

अविरल बहती रहे उपचार की धारा यह,

सार्थक हो निश्चय ही विश्व नर्स दिवस का।।

                  

रचयिता
बी0 डी0 सिंह,
सहायक अध्यापक,
कम्पोजिट विद्यालय मदुंरी,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।

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