विश्व तंबाकू निषेध दिवस

खाए तंबाकू गुटखा साहब,

कैसा मुँह महका रहे।

बीड़ी सिगरेट का देखो,

कैसे कश हैं लगा रहे।।


उपहार मिला जीवन अनमोल,

धुएँ में उसको उड़ा रहे।

हर एक कश के साथ,

पल-पल सेहत गला रहे।।


जवानी के जोश में कुछ,

अभी न तुमको दिख रहा।

धुआँ-धुआँ है  घर तेरा, 

परिवार जिसमें पिस रहा।।


टीवी कैंसर रोगों को,

दावत तुम दे जाओगे।

कांधे में अस्थमा के,

शमशान तक जाओगे।।


छोटे बच्चे देख रहे,

तुम्हे तंबाकू खाते।

अनजाने में नन्हों को,

 तुम यह लत लगाते।।


करो त्याग तंबाकू का,

जो जीवन हो बचाना।

बीड़ी सिगरेट गुटखा को,

 कभी हाथ ना लगाना।।


रचयिता

ज्योति विश्वकर्मा,

सहायक अध्यापिका,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,

विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,

जनपद-बाँदा।



Comments

Total Pageviews