परिवार दिवस

 प्यार है मनुहार है, झगड़ा है तकरार है

 रूठना है मनाना है, खुशियाँ जहाँ बेशुमार हैं

 वही तो कहलाता परिवार है......


 माता हैं पिता हैं, भाई हैं बहन हैं

 चाचा -बुआ हैं, मामा -मौसी हैं

 बुजुर्गों का जहाँ मिलता दुलार है

 वही तो कहलाता परिवार है......


 बातें हैं यादें हैं, फ़िक्रें हैं वादे हैं

 सपने हैं अपने हैं, जहाँ नसीहतें अपार हैं

 वही तो कहलाता परिवार है......


 आँसू है हँसना है, मुश्किल है ढाँढस है 

 बाधा है हिम्मत है, जहाँ प्रगति का आधार है

 वही तो कहलाता परिवार है......


रचयिता

भारती खत्री,

सहायक अध्यापक,

उच्च प्राथमिक विद्यालय फतेहपुर मकरंदपुर,

विकास खण्ड-सिकंदराबाद,

जनपद-बुलंदशहर।



Comments

Total Pageviews