हार न मानो जीवन से

फिर से यह संसार बसा दो

जगकर्ता जगदीश्वर

घर -आँगन तुम चमन खिला दो

दुखहर्ता शिवशंकर।।1


लाज बचाओ जगत की

दूर भगाओ रोग

प्रभु सबकी पीड़ा हरो

सबको दो सुख भोग।।2


श्रम करके तो देखिए

जीवन में सुख आय

जीवन से हारा वही

जो पथ से घबराय।।3


मन में धीरज घोलकर

शीतल खुद को पाय

शुभ विचार गुणगान कर 

तन निर्मल हो जाय।।4


समय लौट आता नहीं

जो पल बीता जाय

सतत कर्म अभ्यास से

जग को जीता जाय।।5


सरल सहज व्यवहार हो

करें अहं का त्याग

वाणी में मृदुभाव हो

न होवें द्वेष राग।।6


रचयिता
दीपा पाण्डेय,
प्रवक्ता संस्कृत,
राजकीय बालिका इंटर कॉलेज काकड़,
विकास खण्ड-बाराकोट,
जनपद-चम्पावत,
उत्तराखण्ड।



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