अन्तर्राष्ट्रीय चाय दिवस

थक कर जब भी तन मन हारे,

पीकर घुट उलझन भागे सारे।


नई स्फूर्ति और उमंग जगा दे,

एक कप चाय हो जाए प्यारे।


समस्या  कोई  जब भी आये, 

नए विचार तब चाय से आये।


तुलसी, अदरक, इलायची वाली, 

सबको अलग-अलग चाय भाये।


बारिश  जब  उत्पात  मचाये,

गरम पकोड़े चाय खूब भाये।


अतिथि जब कोई घर मिलने आये, 

बड़े प्रेम से सब उन्हें चाय पिलाए।


देश-विदेश कूटनीति वार्ता करते, 

चाय पार्टी  पर  किस्से सुलझते। 


चलो अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाएँ

चाय पिएँ  और  ख़ुश  हो जाएँ। 


रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी, 
जनपद-जौनपुर।

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