परशुराम

त्रेता युग में ब्राह्मण ऋषि के घर जन्म लिया था,

भगवान विष्णु का छठा अवतार मान लिया था,

पिता महर्षि जमदग्नि, माँ रेणुका धन्य हुईं,

वैशाख शुक्ल तृतीया परशुराम ने जन्म लिया था।


महर्षि विश्वामित्र, ऋचीक से आरंभिक शिक्षा पाई,

गिरिश्रंग पर विद्युदभि अस्त्र प्राप्त किया था,

शिव जी द्वारा प्रदत परशु से परशुराम कहलाए,

शस्त्र विद्या के गुरु से, भीष्म, द्रोण, कर्ण विद्या पाए।


बाल्यकाल में ही पशु पक्षियों की भाषा जानी,

प्रकृति प्रेमी होने की अपनी पहचान कराई,

माता पिता के आज्ञापालक कई विद्याओं के ज्ञाता,

एकादश छंदयुक्त "शिव स्त्रोत" की महिमा बताई।


नारी जागृति के पक्षधर, सफल अभियान चलाया,

क्रोध में आए अगर भूले सब मोहमाया,

21 बार धरती को क्षत्रियों से रहित किया था,

आए अपनी पर तो, माता को भी था सताया।


धार्मिक मान्यता कहे, जीवित हैं आज परशुराम,

कल्कि पुराण कहे विष्णु का दसवाँ अवतार परशुराम,

दक्षिण भारत के उडुपी के पास इनका मंदिर बना,

नारायण त्रैलोक्य, विजय कवच, जय हो परशुराम।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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