नर्स

नर्स होतीं बड़ी प्यारी,

सेवा दिन रात करतीं हैं।

रोगियों के कष्ट सारे,

नर्स दिन रात हरतीं हैं।


कभी माता बनकर ये,

हमें लोरी सुनाती हैं।

जाग कर रात भर ये,

चैन से हमें सुलाती हैं।


कभी बहना बनकर ये,

हमको दुलार करती हैं।

हमारी सलामती को ये,

विनती हज़ार करती हैं।


कभी यारा मित्र बनकर,

दुःख दर्द हमारे सुनती हैं।

हो जाएँ स्वस्थ हम जल्दी,

सपने दिन रात बुनती हैं।


खिलाकर पौष्टिक खाना,

स्वस्थ हमको बनाती हैं

समय पर दे दवा हमको,

रोगों को ये भगाती हैं।


हमारे नासूर घावों पर,

खुद ही मरहम लगाती हैं।

अपने जब काम ना आएँ,

वो हमें अपना बनाती हैं।


किरण उम्मीद की दिल में,

सदा ही ये जगाती हैं।

मिलता है सुकून हमको,

जब ये मुस्कुराती हैं।


दया करुणा प्रेम हम पर,

सदा नर्सें लुटाती हैं।

निभा कर्तव्य सारे ये,

धर्म अपना निभाती हैं।


हमें है नाज नर्सों पर,

जो सेवा धर्म निभातीं हैं।

जो निस्वार्थ भावों से,

स्वस्थ जग को बनाती हैं।


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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