परिवार

जहाँ साथ सब एकजुट हो रहते। 

 उसको हम परिवार हैं कहते। 

 होता इनमें आपस में अटूट प्यार। 

 मम्मी-पापा, दादा-दादी, 

 भाई-बहन और चाचा-चाची

 इन सब से मिलकर बनता परिवार।। 

 परिवार होती प्रथम पाठशाला, 

 माता होती है प्रथम गुरु। 

 परिवार से ही तो सर्वप्रथम, 

 हम करते हैं सीखना शुरू।। 

 एक दूजे का हाथ बताना। 

 कोई रूठे तो तुरंत मनाना।। 

 बड़े-बूढ़ों की मदद करना। 

 घर को खुशियों से भरना।। 

 आपस में प्रेम और सम्मान। 

 करना सदैव यह लो ठान।। 

 नैतिक मूल्य और सद्व्यवहार। 

 हमें सदा सिखाता है परिवार। 


रचयिता
रीनू पाल रूह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय दिलावलपुर,
विकास खण्ड - देवमई,
जनपद-फतेहपुर।


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