शिक्षक सम्मान

शिक्षक शिक्षक सब हैं कहते,  

सब रखते हैं उनका मान,

 कमी न कोई निकाल पाया 

गरिमामय है उनकी शान।

माता पिता के हैं समान,

सबसे ऊँचा उनका मान।

गर्मी वर्षा बर्फ हैं सहते,

निश्चल भाव से काम हैं करते,

देख न सके कोई आँख उठा के,

 गर्व से रहते सबसे आगे।

काम की झड़ी लगा दें सब वो,

 देखो तब वह क्या-क्या करते,

अनगिनत तो काम हैं उनके,

सबके सब यह ताज्जुब करते। 

समस्या जैसी महामारी वाली,

तब भी नहीं रहे हो खाली,

जी न चुराते कभी नहीं वो,

काम तो देखें उनका सब वो।

 सबसे ऊपर छवि है उनकी,

 कला तो देखो काम की उनकी,

भाईचारा फर्ज निभाते,

सब के संग वह मिलते-जुलते।

 अभिभावक के मन को भाया,

लगता कोई फरिश्ता आया,

 बोले वह भगवान नहीं हूँ,

ईश्वर का अवतार नहीं हूँ।

नन्हें-मुन्ने प्यारे बच्चे,

लगते हमको सबसे अच्छे,

माता-पिता के हैं समान,

सबसे ऊँचा उनका मान।

शिक्षक शिक्षक सब हैं कहते,

सब रखते हैं उनका मान,

कमी नहीं कोई निकाल पाया,

गरिमामय है उनकी शान।


रचयिता 

उषा पेटवाल,

प्रधानाध्यापिका,

राजकीय प्राथमिक विद्यालय खेड़ा, 

विकास खण्ड-जौनपुर, 

जनपद-टिहरी गढ़वाल,

उत्तराखण्ड।



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