भगवान परशुराम

 विष्णु के छठे अवतार,

हैं भगवान परशुराम।

सात चिरंजीवियों में एक,

 बड़े वीर पराक्रमी महान।।


वैशाख महीना शुक्ल पक्ष,

 तृतीया की अक्षय तिथि।

हुए अवतरित परशुराम,

पिता जमदग्नि रेणुका माँ थीं।।


 छः ग्रहों के उच्च संयोग में,

 प्रभु आप ने जन्म लिया।

 इक्कीस बार धरा को,

क्षत्रियों से विहीन किया।।


 पराक्रम के कारक,

और सत्य के धारक।

 अन्याय आपसे सहन नहीं,

आप महान न्याय पालक।।


अश्वमेध यज्ञ करके,

 पूरी दुनिया को जीत लिया।

 पिता की आज्ञा मानकर,

माँ का सिर काट दिया।।


 महर्षि भृगु आपका,

राम नाम सुझाए।

शिवजी से परशु प्राप्तकर,

 भगवान परशुराम कहलाए।।


शिवजी को प्रसन्न कर,

 दिव्य धनुष प्राप्त किया।

 चढ़ाकर प्रत्यंचा राम ने जिसकी,

 सीता का था वरण किया।।


 पशु पक्षियों से किया,

स्थापित जीवंत संवाद।

भीष्म द्रोण कर्ण के गुरु,

किया वैदिक संस्कृति का प्रसार।।


रचयिता

ज्योति विश्वकर्मा,

सहायक अध्यापिका,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,

विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,

जनपद-बाँदा।



Comments

Total Pageviews