महात्मा बुद्ध

नेपाल के लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व,

पिता शुद्धोधन के इक्ष्वाकु वंशीय। 

क्षत्रिय शाक्य कुल के परिवार में,

वैशाख पूर्णिमा को जन्म लिया सिद्धार्थ ने।।


धन वैभव सारी संपत्ति,

सब कुछ त्यागा आपने।

पत्नी यशोधरा पुत्र राहुल को छोड़,

निकल पड़े दिव्य ज्ञान की खोज में।।


बरसों कड़ी तपस्या करके,

ज्ञान प्राप्त किया बोधगया बिहार में।

लोगों को सत्य का परिचय कराकर,

बुद्ध कहलाए सारे संसार में।।


जन्म हुआ वैशाख पूर्णिमा को,

ज्ञान पूर्णिमा तिथि को पाया।

देह त्याग किया वैशाख पूर्णिमा,

अद्भुत संयोग तिथि ने बनाया।।


सत्य की खोज करो तुम,

नहीं अज्ञान को अपनाओ।

उत्तम राह सत्य, अहिंसा की अपनाकर,

सब अपने जीवन में समरसता लाओ।।


ईश्वर है स्वयं के भीतर,

स्वर्ग नरक यहाँ कुछ नहीं।

अपने कर्म उत्तम करके,

धरती को ही स्वर्ग बनाओ।।


महात्मा बुद्ध का जीवन,

हमको यही ज्ञान बतलाता है।

मानव का मानवता से प्रेमभाव,

रहे यही पाठ पढ़ाता है।।


रचनाकार

मृदुला वर्मा,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय अमरौधा प्रथम,

विकास खण्ड-अमरौधा,

जनपद-कानपुर देहात।

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