पोखरण परमाणु विस्फोट दिवस

ठनी हुई थी अमेरिका,

और सोवियत रूस के बीच।

एक तरफ नोंच रहा था,

भारत को पाकिस्तान नीच।।


 हाँ में हाँ जो नहीं मिलाया,

 अमेरिका आँख दिखलाता।

स्वयं कर परमाणु परीक्षण,

दादागिरी भी करता जाता।।


अमेरिका का पड़ला भी,

झुका हुआ था पाकिस्तान।

1962 के चीनी हमले से,

सकते में था हिंदुस्तान।।


सीटीबीटी  संधि भारत को,

रह रहआँख दिखलाए।

कैसे मारे सब को ठोकर,

कोई सोच नहीं पाए।।


तभी 18 मई 1974 का,

था वह विशेष दिन आया।

किया प्रथम परमाणु परीक्षण,

भारत को कोई रोक न पाया।।


हुआ आवश्यक एक परीक्षण,

जिससे दुश्मन भी काँपे।

है भलाई इसी में सबकी,

भारत को अब कम न आँके।। 


संचार माध्यम से जब,

इंदिरा जी ने जयघोष किया।

जिन्होंने पूरे ऑपरेशन को,

बुद्धा स्माइल नाम दिया।।


वातावरण भी चहुँओर,

ऐसा गुंजायमान हुआ। 

कैलाश पर्वत पर जैसे,

शिव ने तांडव नृत्य किया।।


सीआईए की टेक्नोलॉजी,

हाथ मलते रह गई।

भारत बना परमाणु शक्ति,

 सारी दुनिया दंग हुई।।


उद्देश्य था शांति व्यवस्था,

स्थापित हो संसार में।

कृष्ण सुदर्शन जैसा रक्षक,

बन जाए हर वार में।।


रचयिता

ज्योति विश्वकर्मा,

सहायक अध्यापिका,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,

विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,

जनपद-बाँदा।



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