193/2024, बाल कहानी- 23 अक्टूबर


बाल कहानी - नेकी का फल
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राधा कक्षा सात की होनहार छात्रा थी। वह प्रतिवर्ष अपनी कक्षा में प्रथम आती थी। साथ ही साथ खेलकूद में भी आगे रहती थी। स्कूल के सभी अध्यापक उसकी सराहना करते थे, जिसके कारण इसकी सहेलियाँ उससे चिढ़ती थीं। राधा के माता-पिता बहुत गरीब थे। वे मजदूरी करते थे। वह अपने माता-पिता की तीसरी सन्तान थी। गरीबी के कारण राधा अपनी पढ़ाई पर विशेष ध्यान देती थी। 
वार्षिक परीक्षा का समय चल रहा था। राधा साइकिल पर बैठकर अपने स्कूल को जा रही थी। रास्ते में वह देखती है कि एक बुजुर्ग महिला चक्कर खाकर गिर पड़ी है। राधा तुरन्त अपनी साइकिल खड़ी करके उसके पास जाती है और उसे पानी पिलाकर छाया में बैठाती है।
तभी पीछे से आ रही राधा की सहेलियाँ मौका पाकर उसके साइकिल की हवा निकाल देती है। ये सारी घटना उनके प्रधानाध्यापक ने देख ली थी। 
जब राधा वापस आती है तो साइकिल पन्चर देखकर परेशान हो जाती है। फिर बिना देर किए स्कूल के लिए चल पड़ती है।
परीक्षा शुरू हो चुकी थी। राधा जैसे-तैसे जल्दी से अपना पेपर पूरा करती है। यह देखकर इसकी सहेलियाँ उस पर हँसती हैं।
जब परीक्षा का रिजल्ट आता है तो राधा फिर कक्षा में प्रथम आती है। प्रधानाध्यापक सभी को बुलाकर राधा को पुरस्कृत करते हैं। वे सभी के सामने राधा की देर से आने का कारण बताते हैं। सारे बच्चे राधा को बधाई देते हैं। राधा को नेकी का फल मिल चुका था। इसकी सहेलियाँ अपने किए की माफी माँगती हैं।

#संस्कार_सन्देश - 
हमें दूसरों की परवाह किए बिना लगातार अच्छे कार्य करते रहना चाहिए।

कहानीकार-
#मृदुला_वर्मा (स०अ०)
प्रा० वि० अमरौधा प्रथम
ब्लॉक- अमरौधा (कानपुर देहात)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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