197/2024, बाल कहानी- 28 अक्टूबर


बाल कहानी - मोर और पंख
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नेवेली नामक गाँव में बहुत सारे मोर रहते थे। वह मोर दिन में मोनू की छत पर रोज आते थे। आते भी क्यों ना हो, क्योंकि उनके दादाजी रोज मोर के लिए छत पर दाने डालते थे। मोर खूब चाव से आकर दानों को खाते थे और फिर खूब मजे से पानी पीते थे। कुछ देर बाद वे उड़ जाया करते थे। मोनू ने एक दिन देखा कि इतने सुन्दर-सुन्दर मोर जिनके कितने सुन्दर पंख है! क्यों न इसके पंख हम तोड़ लेते हैं! 
बस! फिर क्या था? एक दिन उसने जब मोर को आते देखा तो उनके पास गया और धीरे से उनके सारे पंख पकड़ लिए। अब मोर ने पंख को बहुत छुड़ाने की कोशिश की। जब वह पंख को नहीं छुड़ा पाये तो पंख छोड़कर ही उड़ गए। अब मोनू को बड़ा मजा आया और उसने वह पंख जाकर गाँव में दूसरे लोगों को कुछ पैसों में बेच दिए। अब मोनू को जब मोर के पंख बेचने से जो पैसे मिले तो उसे बड़ा मजा आया कि अब तो मेरे पास इतने सारे पैसे हो गए। अब उसे लालच आ गया। वह रोज ऐसा ही करने लगा। रोज मोर के पंख पकड़ता और मोर जो पंख छोड़कर उड़ जाते, मोनू जाकर बाजार में जाकर उन पंख को बेच देता। उसने तो अपना रोज का ऐसा धन्धा बना लिया। 
अब उसकी एक दिन उसके दादाजी ने जब देखा तो उन्होंने मोनू को बुलाकर कहा, "बेटा! यह गलत बात है। तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। मोर को भी तकलीफ होती है, जब वह पंख छोड़ करके उड़ते हैं, क्योंकि उन्हें अपनी जान बचानी होती है। वह छोड़कर के पंख उड़ जाते हैं लेकिन हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। मोनू को बात समझ में नहीं आयी। 
एक दिन ऐसा ही हुआ कि मोनू रास्ते में जा रहा था और साइकिल के पहिए में उसका पैर फँस गया। अब जब पर फँस गया तो बहुत छुड़ाया लेकिन वह नहीं निकल पाया। उसके दादाजी भी साथ में थे। वे बोले, "क्यों ना अब इस पैर को हम काट दे और फिर घर चलते हैं।" मोनू ने कहा, "दादाजी! ऐसा मत करिए, मेरे पैर कट जायेंगे, तो फिर मैं चलूँगा कैसे?" दादाजी ने कहा, "देखा! अब तुम्हें समझ में आया? शरीर के अंग को काटने में या तोड़ने में कितना कष्ट होता है, ऐसे ही मोर को भी कष्ट होता है। तो आज से हम ऐसा काम नहीं करेंगे और ना ही तुम ऐसा काम करोगे।" मोनू को बात जल्दी समझ में आ गयी और उसने भगवान से भी क्षमा माँगी और दादाजी से भी वादा किया कि, "अब आज से वह ऐसी कोई भी गलत काम नहीं करेगा।"

#संस्कार_सन्देश-
हमें अकारण किसी भी प्राणी को बंधक नहीं बनाना चाहिए, अन्यथा एक दिन ऐसा ही हमारे साथ होता है।

कहानीकार-
#अंजनी_अग्रवाल (स०अ०)
उच्च प्राथमिक विद्यालय सेमरुआ, सरसौल, कानपुर नगर (उ०प्र०)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद #दैनिक_नैतिक_प्रभात

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