187/2024, बाल कहानी- 15 अक्टूबर


बाल कहानी - पश्चाताप के आँसू
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रविवार का दिन था। रानी घर के आँगन में खेल रही थी और पापा अखबार पढ़ रहे थे। मम्मी रसोई घर में खाना बना रही थी। घर के बरामदे में चिड़िया का घोंसला था। घोंसले में उसके दो बच्चे थे। चिड़िया के आने पर वे चीं-चीं करने लगते थे। रानी एकटक उनको देख रही थी, तभी पापा की नजर रानी पर पड़ी। वे बोले, "रानी क्या देख रही हो?"
रानी बोली, "पापा! यह चिड़िया क्या कर रही है?"
पापा ने कहा, "बेटा! चिड़िया बड़े प्यार से बच्चों की चोंच में दाना खिला रही है। चिड़िया उनकी देखभाल तब तक करती है, जब तक भी बड़े नहीं हो जाते। बच्चे और बुजुर्गों को विशेष देखभाल और प्यार की जरूरत होती है।"
तभी अचानक कमरे से चिल्लाने की आवाज आती है। माँ दादी पर चिल्ला रही थी। उन्हें भला-बुरा कह रही थी। रानी तुरन्त उन्हें ऐसा करने से रोकती है और माँ को पापा की पूरी बात बताती है। यह सुनकर माँ की आँखों में आँसू आ जाते हैं। वह दादी से अपने बुरे व्यवहार के लिए क्षमा माँगती हैं और कभी भी इस तरह का व्यवहार न करने की कसम खाती हैं, और फिर सभी मिलजुल कर प्रेम से रहते हैं।।

संस्कार सन्देश - 
 इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें बुजुर्गों का आदर और सम्मान करना चाहिए।

कहानीकार-
मृदुला वर्मा
कानपुर देहात (उत्तर प्रदेश)

कहानी वाचन-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद 
दैनिक नैतिक प्रभात

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