180/2024, बाल कहानी- 04 अक्टूबर
बाल कहानी - सूझ-बूझ
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एक जंगल में एक गिलहरी और चिड़िया रहते थे। गिलहरी और चिड़िया बहुत अच्छे मित्र थे। जंगल में बहुत सारे जानवर दिन-भर इधर-उधर टहलते रहते और शोर मचाया करते थे। कभी-कभी तो आपस में चिल्ला-चिल्लाकर लड़ाई भी करते रहते थे।
एक दिन चिड़िया गिलहरी से बोली, "शहर में ये जानवर नहीं होते हैं तो इन लोगों का शोर नहीं होता है।" गिलहरी बोली, "तुम्हें ये कैसे पता?"
चिड़िया बोली, "अरे मित्र! मैं तो उड़ते-उड़ते सब जगह जाती हूँ न, तो मुझे सब पता है।"
गिलहरी बोली, "अब तो मैं शहर में जाकर ही रहूँगी।" चिड़िया ने समझाया, "बहन! वहाँ पर जीवन इतना आसान नहीं है।" लेकिन गिलहरी नहीं मानी और शहर में जाकर रहने लगी। जब चिड़िया उसके पास आती तो दोनों खूब मजे से खेलते, खूब मस्ती भी करते। गिलहरी शहर में आकर बहुत खुश थी।
अचानक एक दिन बहुत तेज पानी बरसा और गिलहरी का घर उस पानी में टूटकर बह गया। साथ ही गिलहरी भी पानी के बहाव के साथ बहने लगी क्योंकि वहाँ पर कोई भी पेड़ नहीं था। अचानक चिड़िया उड़ते-उड़ते आयी और सब देखा। उसे अपनी मित्र की बहुत चिन्ता हुई। चिड़िया ने अपनी सूझ-बूझ का प्रयोग करते हुए जल्दी से जाकर एक लकड़ी की टहनी लाकर पानी में डाल दी। अब उस लकड़ी के सहारे गिलहरी पानी से बाहर आ गयी। गिलहरी को अपनी गलती का अहसास हुआ कि पेड़ों के बिना जीवन नहीं हैं और वह जंगल में पेड़ों के बीच रहने लगी।
संस्कार सन्देश -
हमें हमेशा एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए। इसकी शिक्षा हमें हमारे गुरुजनों और बड़ों से लेनी चाहिए।
कहानीकार-
अंजनी अग्रवाल (स०अ०)
उच्च प्रा० वि० सेमरुआ,
सरसौल (कानपुर नगर)
कहानी वाचन-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात
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