189/2024, बाल कहानी- 18 अक्टूबर
बाल कहानी - शिकारी
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सड़क किनारे दो बड़े पेड़ लगे थे। एक पेड़ पर कोयल और दूसरे पेड़ पर कबूतर रहता था। दोनों आपस में बहुत बातें करते थे, इसलिए मित्रता दिन पर दिन गहरी होती जाती थी।
कोयल अमरूद के पेड़ पर अकेली रहती थी। उसका सारा परिवार प्राकृतिक आपदा में मर चुका था।
कबूतर जामुन के पेड़ पर रहता था। उसका पूरा परिवार शहरी शिकारी का शिकार हो गया था।
कोयल और कबूतर सुबह सवेरे उठकर भोजन के तलाश में जाते और शाम होते ही वापस आ जाते थे, फिर जो बचता, दोनों आपस में मिल जुलकर खाते और खूब बाते करते।
एक दिन की बात है। दोनों भोजन की तलाश में प्रतिदिन की तरह बाहर गये। कोयल को बहुत सारा भोजन एक स्थान पर दिखा। वह तुरन्त भोजन खाने लगी, तभी शिकारी ने कोयल को एक टोकरी में बन्द कर दिया। कबूतर ने जैसे ही देखा कि मित्र कोयल शिकारी की बाँधी हुई टोकरी में बन्द हो गई है, वह तुरन्त उसे छुड़ाने का प्रयास सोचने लगा, पर शिकारी टोकरी के पास ही बैठ गया। इससे पहले की शिकारी टोकरी खोलकर कोयल को पकड़ता, शिकारी के मोबाईल की घन्टी बज गयी। वह कान में मोबाइल लगाकर किसी से बात करने में व्यस्त हो गया। कबूतर मौके की तलाश में ही पास की झाड़ियों में छिपा था। चुपके से आकर उसने टोकरी थोड़ा अपनी गर्दन की सहायता से उठायी। कोयल टोकरी से बाहर आ गयी। दोनों जल्दी से उड़ गये। शिकारी देखता ही रह गया।
#संस्कार_सन्देश -
हमें हर हाल में अपने मित्रों की सहायता करनी चाहिए।
कहानीकार-
#शमा_परवीन
बहराइच (उत्तर प्रदेश)
कहानी वाचन-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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