198/2024, बाल कहानी- 29 अक्टूबर
बाल कहानी- बड़ों की सीख
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आज राजू अपनी डॉक्टर की पढ़ाई पूरी करके घर वापस आता है। आते ही वह सबसे पहले जाकर पिताजी के पैर छूता है। पिताजी प्यार से उसे गले लगा लेते हैं। तभी वह अपने बचपन की यादों में खो जाता है। बचपन में राजू को सभी बहुत प्यार करते थे। दादी-दादा का वह लाडला था, पर सभी के लाड-प्यार ने दादी राजू को बिगाड़ दिया था।
मम्मी राजू को समय पर विद्यालय भेजती थी। पापा राजू को स्कूल बस तक छोड़ते हुए अपने ऑफिस के लिए निकल जाते थे, पर राजू स्कूल न जाकर अपने दोस्तों के साथ में खेलने निकल जाता था और देर से स्कूल पहुँचता था।
एक सप्ताह का समय बीत चुका था। अध्यापक के पूछने पर राजू ने बताया कि दादी माँ बहुत बीमार हैं। वह अस्पताल में एडमिट हैं। वह उन्हें देखने जाता है इसलिए विद्यालय समय पर नहीं पहुँच पाता। राजू के पिताजी जब शाम को घर वापस आते हैं और स्कूल की पढ़ाई के बारे में पूछते हैं तो राजू कोई न कोई बहाना बनाकर उनसे झूठ बोल देता था।
एक दिन शाम को अचानक से राजू के कक्षा अध्यापक आ जाते हैं। राजू जैसे ही दरवाजा खोलता है तो अचानक उन्हें देखकर चौंक जाता है। तभी पीछे अपने पापा की आवाज आती है। वह उन्हें अन्दर बुलाते हैं और राजू को पानी लाने के लिए कहते हैं। अध्यापक उनसे दादी का हाल-चाल पूछते हैं। वे पापा को बताते हैं कि, "राजू ने उन्हें बताया था कि दादी की तबीयत बहुत खराब है और राजू जब पिछले दो दिन से विद्यालय नहीं आया तो मैंने सोचा कि खुद जाकर दादी का हाल-चाल पूछ लूँ।"
पिताजी को बात समझते देर नहीं लगती है। वह पूरा मामला जान जाते हैं और अध्यापक के जाने पर राजू को अपने पास बुलाते हैं। राजू को बड़े प्यार से समझाते हैं कि, "बेटा! समय बहुत अनमोल होता है। इसे हमें व्यर्थ में नहीं गँवाना चाहिए। अगर हम मन लगाकर निरन्तर मेहनत करते हैं, तभी हमारा भविष्य सुनहरा रहता है। हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए।"
राजू अपने किए पर शर्मिंदा था। उसने अपने पिताजी से वादा किया कि, "वह भविष्य में कभी भी समय व्यर्थ में नहीं गँवायेगा और मेहनत और लगन से पढ़ाई करेगा तथा हमेशा सच बोलेगा।" उसका यह संकल्प देखकर उसके पापा बहुत प्रसन्न हुए।
आगे चलकर बचपन की इस सीख से राजू आज डॉक्टर बन पाया था। बचपन की यादें राजू को चेहरे पर मुस्कान ला रही थीं।
#संस्कार_सन्देश-
हमें समय का सदुपयोग करना चाहिए। पूरी मेहनत और लगन से अपनी पढ़ाई कर हमेशा सच बोलना चाहिए।
कहानीकार-
#मृदुला_वर्मा (स०अ०)
प्रा० वि० अमरौधा प्रथम
अमरौधा (कानपुर देहात)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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