186/2024, बाल कहानी- 14 अक्टूबर


बाल कहानी - गोलू और मोलू 
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गोलू और मोलू आपस में खेल रहे थे। गोलू ने मोलू से कहा, "चलो, आज हम दोनों मिट्टी से कोई चित्र बनाते हैं। जो अच्छा बनायेगा, वह जीत जायेगा।" देखते ही देखते गोलू ने खूब अच्छा-सा, सुन्दर-सा एक चित्र बनाया। मोलू ने बहुत कोशिश की पर कोई चित्र बना नहीं पाया। जब मोलू ने देखा कि गोलू का चित्र बहुत सुन्दर है तो उसे शरारत सूझी। इससे पहले कि वह कुछ शरारत करता, गोलू बोल उठा, "देखो मोलू! मैंने एक प्यारा सा चित्र बनाया है। ये पेड़ है। ये नदी है और ये पहाड़ है। बोलो, तुम्हें कैसा लगा मेरा बनाया हुआ ये प्राकृतिक चित्रण?" 
"बहुत अच्छा चित्र बना है।" इतना कहकर मोलू ने झट से सारा चित्र मिटा दिया। गोलू को गुस्सा आ गया। गोलू ने मोलू को इस बात पर एक थप्पड़ मार दिया। फिर दोनों आपस में लड़ने लगे। गोलू रोने लगा। रोते-रोते वह अपने अभिभावक के पास जा पहुँचा। अभिभावक बिना सोचे-समझे मोनू के घर जा पहुँचे। फिर दोनों अभिभावक के बीच लड़ाई-झगड़ा शुरू हो गया। थोड़ी देर तो गोलू, मोलू खड़े रहे, फिर उसके बाद दोनों चुपके से फिर उसी मैदान में जा पहुँचे और फिर से दोनों मिट्टी में चित्र बनाने लगे। 
एक व्यापारी यह सब देख रहा था। उसने कहा, "आप लोग आपस में किस बात के लिए लड़ रहे हैं?" गोलू की माँ ने कहा, "इसके बच्चे ने मेरे बच्चे को मारा। आप इनसे पूछें, क्यूँ मारा मेरे गोलू को?" इस पर वह व्यापारी बोला, "आप लोग जिस बच्चे के लिए लड़ाई कर रहे हैं, वे दोनों बच्चे आपस में फिर वही खेल खेल रहे हैं, जिस खेल के लिए उन्होंने लड़ाई की थी। मैं अभी स्वयं देखकर आया हूँ। अगर आपको यकीन न हो, तो चलो मेरे साथ। आप लोगों को भी दिखा दूँ।" सभी लोग चल दिए। जब दोनों के अभिभावक बच्चों के पास पहुँचे तो आश्चर्यचकित हो गये। गोलू, मोलू हँस-हँसकर बातें कर रहे थे। वे चित्र बनाने में इतना व्यस्त थे कि उन्होंने अपने माता-पिता के आने की आहट भी नहीं सुनी और न ही पलटकर देखा। ये सब देख दोनों बच्चों के अभिभावक बहुत शर्मिन्दा हुए। वह बच्चों को बिना कुछ कहे अपने घर की ओर चल दिए। शायद उन्हें अपनी गलती का एहसास हो गया था। गोलू, मोलू जब घर वापस आये तो बड़ों ने समझाया कि, "शरारत और लड़ाई अच्छी बात नहीं है। आज अनहोनी होते-होते टली है।" गोलू और मोलू को एहसास हुआ कि शरारत और लड़ाई से सिर्फ नुकसान होता है।

संस्कार सन्देश - 
हर स्थिति में हमें धैर्य रखना चाहिए। 

कहानीकार-
शमा परवीन 
बहराइच (उत्तर प्रदेश)

कहानी वाचन-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद 
दैनिक नैतिक प्रभात

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