192/2024, बाल कहानी- 22 अक्टूबर
बाल कहानी - हठ
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कहानियों को सुनने/पढ़ने से हमारे भाषा विकास को बढ़ावा मिलता है। तो आइये चलते हैं आज की बाल कहानी की ओर👉
रामपुर गाँव में श्याम नाम का आदमी रहता था। वह रोजाना जंगल से पक्षियों को पकड़कर लाता था और बाजार में उन्हें अच्छी कीमत लेकर बेंच देता था। उसकी एक बेटी थी, जो अपने पिता को पिंजड़े से पक्षियों को अन्दर-बाहर करते देखती रहती थी।
एक दिन वह अपने पिताजी से जिद कर बैठी, "पिताजी! मुझे भी पिंजड़े के अन्दर रहना है।" उसके पिता ने समझाने की बहुत कोशिश की, पर वह नहीं मानी । वह बार बार रट लगा बैठी रही कि, "मुझे भी पिंजड़े के अन्दर रहना है पिताजी" हठ के कारण उसने खाना-पीना तक छोड़ दिया। हारकर उसके पिताजी को एक पिंजड़ा मँगवाना पड़ा। पिंजड़े को देखकर उसकी बेटी बहुत खुश हो गयी और पिंजड़े में जाकर बैठ गयी। वह अपने पिता से बोली , "पिताजी! मुझे भी पिंजड़े में खाना दो।" पिताजी बोले, "तुम ऐसा क्यों कर रही हो बिटिया?" वह बोली, "जिस तरह इन्सानों को अपनी जिन्दगी जीने का अधिकार है, उसी तरह पक्षियों को भी खुली हवा में उड़ने का अधिकार है।" श्याम अपनी बेटी की इतनी समझदारी भरी बातें सुनकर बहुत शर्मिन्दा हुए।उस दिन से उन्होंने पक्षियों को पकड़ना बन्द कर दिया ।
#संस्कार_सन्देश -
हमें जीव-जन्तुओं पर दया करनी चाहिए और उनकी रक्षा करनी चाहिए।
कहानीकार-
#दिव्या (कक्षा- 7)
कम्पोजिट विद्यालय पहरवापुर विकासखण्ड- मलवॉ
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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