195/24, बाल कहानी- 25 अक्टूबर
बाल कहानी - दुनियादारी
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हरिमोहन एक होनहार लड़का था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद हरिमोहन ने सोचा कि अब नौकरी की तैयारी कर ली जाये। हरिमोहन के पिता सरकारी सेवा में थे। अब वे सेवानिवृत हो चुके थे। हरिमोहन के तीन बहनें थीं। वह अकेला भाई था।
हरिमोहन ने सोचा कि पिताजी की पेंशन से घर का गुजारा मुश्किल से हो पाता है। अब तो बहनों की शादी करने का भी वक्त आ गया है। हरिमोहन बाहर जाकर नौकरी की लिए तैयारी करना चाहता था, किन्तु पैसे के अभाव में वह मजबूर था। अतः हरिमोहन ने घर में ही रहकर पढ़ाई करनी शुरू कर दी, ताकि सरकारी सेवा में चयन हो सके।
हरिमोहन के घर जो भी आता था, वह व्यक्ति यही कहता था कि, "तुम कुछ काम क्यों नहीं करते हो, क्या तुम्हें घर की चिन्ता नहीं है, अपनी बहनों की चिन्ता नहीं है?" हरिमोहन ने कई बार समझाया कि, "वह लगातार प्रयास कर रहा है, कि उसका कहीं सरकारी सेवा में चयन हो जाये।" पर लोग कहते थे, "अरे! ऐसे कुछ नहीं होता है, तुम मेहनत नहीं कर रहे हो। कुछ और काम कर लो।" हर व्यक्ति हरिमोहन को नाकारा समझता था कि वह घर में पिताजी के पैसों पर पल रहा है, पर हरिमोहन ने किसी भी व्यक्ति की बात को अपने दिल से नहीं लगाया। लगातार मेहनत करने के कारण हरिमोहन का चयन अन्त में पुलिस में हो गया।
अब वही लोग तुरन्त आकर हरिमोहन को बधाई देने लगे और उनके पिताजी से बोले, "तुम्हारे बेटे ने बहुत मेहनत की है। बेटा! तुमने बहुत मेहनत की है। बेटा! हमारी भी कुछ मदद कर दिया करना।" हरिमोहन आश्चर्यचकित था, जो लोग कल उसके लिए नकारात्मक बातें कर रहे थे, आज इतनी सकारात्मक बातें कर रहे हैं। हरिमोहन के पिताजी बोले, "बेटा! दुनियाँ का काम नीचे गिराना है, हमें उनकी बातों पर ध्यान न देकर अपना काम करना चाहिए। अगर तुमने उनकी बातों पर ध्यान दिया होता तो आज तुम पुलिस में नहीं होते।" हरिमोहन ने कहा, "जी पिताजी!" पिताजी ने कहा, "हारा वही है, जो लड़ा नहीं।" चलो बेटा! तुम्हें तो आगे बहुत लड़ाई लड़नी है, और ऐसा कहकर दोनों पिता-पुत्र खाना खाने चले गये।
#संस्कार_सन्देश-
"हमें लोगों की बातों में नहीं आना चाहिए,बल्कि अपने प्रयास जारी रखने चाहिए।"
कहानीकार-
#शालिनी (स०अ०)
प्रा० वि० रजवाना
विकासखण्ड- सुल्तानगंज
जनपद- मैनपुरी (उ०प्र०)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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