182/2024, बाल कहानी- 07 अक्टूबर


बाल कहानी - भिखारिन
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प्रवीण अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र था। उसके माता-पिता उसकी हर जरूरतें पूरी करते थे। वह उसे हमेशा अच्छे संस्कार और अच्छी शिक्षा देते थे। 
एक दिन वह अपने मित्रों के साथ बाहर घूमने गया। वहाँ उसने देखा कि कुछ लोग एक भिखारिन को परेशान कर रहे थे। प्रवीण ने यह सब देखा तो उसे बहुत बुरा लगा और साथ ही उन लोगों पर क्रोध भी आया। वह तुरन्त आगे बढ़ा और भिखारिन से बोला, "दादी! चलो, घर चलें। मैंने तुम्हें कहाँ-कहाँ नहीं ढूँढा। तुम यहाँ हो!"
सभी लोग उसकी बातें सुनकर आश्चर्यचकित हो गये। प्रवीण ने कहा, "चौंकते क्यों हो, क्या इनमें तुम सबको अपनी माँ और दादी नहीं दिखाई देती?" सभी लोग चुप थे। प्रवीण पुनः बोला, "हमें हमेशा औरतों का सम्मान करना चाहिए। आप लोग इसे भिखारिन समझ कर इसका अपमान कर रहे हैं। आप सबको तो इसकी सहायता करनी चाहिए।"
वह औरत बोली, "ईश्वर न करे, कल आपके घर की कोई औरत मेरी जैसी हालात् में हो और उसकी मदद करने की वजाय लोग उसकी हँसी उडायें।"
"चलो माॅ घर चलें।" इतना कहकर प्रवीण उस बूढ़ी औरत का हाथ पकड़कर ले जाने लगा। सभी लोग शर्म से अपने-अपने सिर झुकाये वापस लौट गये।
प्रवीण जैसे ही उस बूढ़ी औरत के साथ अपने घर पहुँचा तो उसकी माँ ने पूछा, "ये कौन हैं?"
"माँ! आप कहती थी न कि अब मुझसे काम नहीं होता है। इसलिए मैं इन्हें ले आया हूँ। इनका अपना कोई नहीं है। लोग इसे भिखारिन समझ कर परेशान कर रहे थे।" प्रवीण की बात सुनकर माँ बोली, "आज मुझे पता चला कि मेरा बेटा बड़ा हो गया है। बेटा! ये तुमने बहुत अच्छा काम किया है। आज से यह हमारे घर में ही रहेगी।" यह सुनकर उस बूढ़ी औरत की ऑंखों में ऑसू आ गये। वह बोली, "तुम सब जुग-जुग जियो! खूब लोकप्रिय होकर उन्नति करो। फले-फूले रहो! मैं तो यही समझती थी कि मेरा जीवन यों ही राहों में भटकते-भटकते बीतेगा। ईश्वर तेरा लाखों-लाख धन्यवाद! ऐसे बेटे तू सभी को दे।"
उसी समय प्रवीण के पिताजी भी आ गये और जब उन्होंने सब हाल जाना तो वह अपने बेटे पर बहुत प्रसन्न हुए। 
वह बोले, "माँ! अब आप यहीं रहेंगी।" बूढ़ी औरत हाथ जोड़े खड़ी थी। वह कभी ईश्वर को धन्यवाद देती और कभी इन लोगों को। वह सोच रही थी, एक वो लोग हैं और एक ये लोग हैं।

संस्कार सन्देश-
हमें हमेशा असहाय लोगों पर हो रहे अत्याचार का विरोध करना चाहिए और जितनी हो सके, उनकी मदद करनी चाहिए।

कहानीकार-
जुगल किशोर त्रिपाठी
प्रा० वि० बम्हौरी (कम्पोजिट)
मेरा मऊरानीपुर, झाँसी (उ०प्र०)

कहानी वाचन-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
दैनिक नैतिक प्रभात

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