190/2024, बाल कहानी- 19 अक्टूबर
बाल कहानी- समझदारी
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दीपावली आने वाली थी। गाँव में जोर-शोर से तैयारियाँ चल रही थीं। मीना ने भी अपने कच्चे घर को गोबर से लीपकर बहुत ही सुन्दर सफेद रंगोली के साथ सजाया था।
झोंपड़ी में लेटे हुए मीना के दादाजी की तबीयत सही नहीं थी। उनको खाँसी आ रही थी और बुखार भी था। मीना के दादाजी ने कहा, "बेटी मीना! दीपावली आ रही है, तुमने अपनी गुल्लक को तोड़कर देखा, कितने पैसे हो गये हैं? दीपावली पर उन्हीं पैसों से तुम पटाखे लाओगी।" मीना ने कहा, " दादाजी! दीपावली से एक दिन पहले मैं गुल्लक तोडूँगी। मैंने उसमें काफी पैसे जमा कर लिए हैं। कम से कम ...... पाँच सौ होंगे।"
मीना बहुत खुश थी, परन्तु दीपावली के एक दिन पहले अचानक दादाजी की तबीयत ज्यादा खराब हो गयी। उन्हें साँस लेने में तकलीफ होने लगी। मीना के पिताजी उन्हें तुरन्त अस्पताल लेकर गये। डॉक्टर ने उन्हें दवाई दी और कहा, " दीपावली के पटाखे के धुएँ से उन्हें दूर रखना है, नहीं तो उन्हें साँस लेने में दोबारा दिक्कत होने लगेगी।"
मीना के पिताजी दादा जी को घर लेकर आ गये। पिताजी ने मीना को सारी बातें बतायीं। मीना ने मन ही मन फैसला लिया कि, वह इस बार दिवाली पर पटाखे नहीं चलायेगी। घर में धुएँ से दादाजी की तबीयत खराब हो जायेगी।
दीपावली के दिन मीना ने अपनी गुल्लक तोड़ी। उसमें पाँच सौ रुपये निकले। मीना अपने पिताजी के साथ बाजार गयी और उन पैसों से अपने दादाजी के लिए कम्बल लेकर आयी। मीना ने दादाजी को कंबल दिया। मीना ने कहा, "दादाजी! यह दिवाली का तोहफा आपके लिए है। सर्दी आने वाली है।"
मीना ने कहा, "दादाजी! पटाखे फोड़ने से कुछ नहीं मिलता। इस कम्बल से आपको सर्दी नहीं लगेगी और यह हमेशा आपके काम आयेगा।" दादाजी ये बात सुनकर भावुक हो गये। उन्होंने अपनी बेटी को गले लगा लिया। शाम को मिट्टी के दीए जलाकर दादा जी और मीना ने मिलकर खुशियाँ मनायीं।
#संस्कार_सन्देश-
"हमें फालतू की फिजूल खर्ची नहीं करनी चाहिए और समय के अनुसार निर्णय लेना चाहिए।"
कहानीकार-
#शालिनी (स०अ०)
प्राथमिक विद्यालय- रजवाना
विकास क्षेत्र- सुल्तानगंज
जनपद- मैंनपुरी (उ०प्र०)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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