184/2024, बाल कहानी- 09 अक्टूबर


बाल कहानी - झूठ 
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टिंकू, पिंकू और सोनू मेला देखने पास के गाँव में बातें करते हुए जा रहे थे। पिंकू ने टिंकू से कहा, "मेरे पास सिर्फ पाँच रुपए है। तुम्हारे पास कितने रुपए है?"
"क्यों?" 
"क्यों क्या? हम लोग मेला जा रहे रहे हैं। बिना पैसे के मेला कैसे घूमेंगे?"
टिंकू उदास होकर बोला, "कह तो तुम सही रहे हो, पर मित्र! मेरे पास सिर्फ एक-एक रुपए के तीन सिक्के है, मतलब सिर्फ तीन रुपए।"
"ओह! फिर कैसे हम लोग मेला घूमेंगे?"
तभी सोनू बोला, "तुम लोग फिक्र न करो! मेरे पास बहुत रुपए है। तुम दोनों को खूब खिलाऊँगा और जो कहोगे, वह मेले में दिखला दूँगा। अगर कुछ चीजे पसन्द आयीं तो उसे दिला भी दूँगा।"
सोनू की बात सुनकर टिंकू और पिंकू बहुत खुश हो गये। खुशी के मारे तेज गति से तीनों मेला जा पहुँचे। मेला का दृश्य बहुत सुन्दर था। चारों तरफ दुकानें सजी थी। बड़े-बड़े झूले लगे थे। सर्कस और जादू-शो भी लगा था। एक से बढ़कर एक चीजें दुकानों में सजी थी। खाने-पीने की चीजें बहुत थीं।
इससे पहले टिंकू, पिंकू कुछ कहते, सोनू बोला, "मित्र! तुम दोनों अपने-अपने पैसे निकालो। मैं उसमें और रुपए मिलाकर सर्कस का टिकट और खाने-पाने की चीजें लाता हूँ, फिर हम लोग मजे से सर्कस देखेंगे।"
पिंकू ने अपने पाँच रुपए, टिंकू ने भी अपने तीन रुपए सोनू को दे दिए।
सोनू बोला, "टिकट के पास बहुत भीड़ है। तुम लोग यहीं रुको, मैं लेकर आता हूँ। टिकट के साथ खाने-पीने की चीजें भी लाता हूँ। बस! मैं यूँ गया और यूँ आया, जब-तक तुम लोग यहीं रहो।"
ये कहकर सोनू चला गया। देखते ही देखते चन्द मिनटों में ही टिंकू और पिंकू की आँखों के सामने सोनू छू-मन्तर हो गया।
काफी इन्तज़ार करने के बाद भी सोनू वापस नहीं आया। टिंकू और पिंकू ने सोनू को बहुत खोजा, पर वह कहीं नहीं मिला। टिंकू को सोनू की बहुत फिक्र हुई कि कहीं सोनू किसी मुसीबत में तो नहीं फँस गया, पर पिंकू को समझ आ गया कि सोनू ने झूठ बोलकर हमारे पैसे लिए और नौ-दो ग्यारह हो गया। 
समय ज्यादा होता जा रहा था। इससे पहले कि रात हो जाये और घर पर डाँट पड़े, टिंकू और पिंकू ने समझदारी से काम लिया और दोनों थक-हारकर अपने-अपने घर की ओर चल दिए।

संस्कार सन्देश- 
हमें अपने स्वार्थ के लिए झूठ बोलकर किसी का यकीन नहीं तोड़ना चाहिए।

कहानीकार-
शमा परवीन 
बहराइच (उत्तर प्रदेश)

कहानी वाचन-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद 
दैनिक नैतिक प्रभात

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