मेरे रामा
तर्ज- मुझको नंदी बना ले
धनुष फिर से उठा ले,
बाण उसपे चढ़ा ले।
पाप जग से मिटा दे,
प्रभु रामा।
कुछ रावण फिर से जाग उठे,
करने को अत्याचार।
हर पल हैं आतंक मचाए,
रोए सारा संसार।
हनुमत को बुला ले,
तेज अपना दिखा दे।
पाप जग से मिटा दे,
प्रभु रामा।
धनुष फिर से उठा ले.......
नारी नहीं सुरक्षित राघव,
दुष्ट हैं घात लगाए।
घर के अंदर और बाहर भी,
क्या क्या जुल्म ढहाए
दरिंदों को मिटा दे,
फिर से उनको सजा दे।
पाप जग से मिटा दे,
प्रभु रामा।
धनुष फिर से उठा ले.......
रघुकुल रीति रहे सलामत,
है रामराज्य की आस।
जनक सुता संग रघुवर मेरे,
फिर से पधारो नाथ।
लक्ष्मण को बुला के,
दरबार फिर से लगा दे।
पाप जग से मिटा दे,
प्रभु रामा।
मेरे रामा।
धनुष फिर से उठा ले.......
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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