नंदलाला
कान्हा जी जन्मदिन
तुम्हारा,
जन्माष्टमी के दिन सभी
मनाते हैं।
नए वस्त्र तुमको पहना कर,
माखन मिश्री का भोग
लगाते हैं।।
देवकी- वासुदेव के घर
जन्म लिया,
यशोदा नंद बाबा ने पाला।
गोकुल की गलियों में
बचपन बीता,
कहते हैं सभी तुम्हें
नंदलाला।।
बाल रूप में ही किए तुमने
बड़े-बड़े काम,
असुरों दैत्यों का वध कर
समझाया सबको।
होता है बुरे कर्मों का बुरा
परिणाम।।
राधे बिन कान्हा जी,
नाम तुम्हारा अधूरा है।
राधे - श्याम के नाम जपन से,
होता दर्शन पूरा है।।
यमुना तीरे मुरली कान्हा जी
जब-जब तुमने बजाई।
गोपी ग्वाले सब दौड़े आए,
तब लीला उन संग रचाई।।
बने सारथी अर्जुन के तुम,
गीता का उपदेश दिया।
धर्म - अधर्म का भेद
समझा कर,
रण में उनको विजयी
किया।।
हम भक्तों पर भी कान्हा
जी,
तुम दया दृष्टि बनाए
रखना।
जो राह सही हो हमारे
लिए,
उस राह सदा ही चलाए
रखना।।
रचयिता
अर्चना शर्मा,
सहायक अध्यापक,
कंपोजिट विद्यालय सुरेहरा,
विकास खण्ड-एत्मादपुर,
जनपद-आगरा।
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