153/2024, बाल कहानी- 29 अगस्त


बाल कहानी- बारिश
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राज और नियाज़ में गहरी मित्रता थी। पड़ोसी होने के नाते दोनों का स्कूल भी एक था। दोनों कक्षा छ: के विद्यार्थी थे। स्कूल जाते समय दोनों एक-दूसरे को बुलाकर साथ जाते थे।
रोज की तरह आज भी दोनों स्कूल जा रहे थे। तभी अचानक बारिश होने लगी। राज ने नियाज से कहा, "देखो, हम लोग आज छाता भी नहीं लाये हैं। क्यों न हम दोनों इस पेड़ के नीचे थोड़ी देर रुक जाते हैं।"
घना पेड़ था। राज और नियाज चुपचाप पेड़ के नीचे खड़े हो गये और बारिश रुकने का इन्तजार करने लगे। बारिश रुकने के बजाय और तेज होने लगी। थोड़ी देर बाद बादल गर्जने लगा। बिजली चमकने लगी।
राज को बिजली चमकने से डर लगता था। वह जोर जोर से रोने लगा।
नियाज़ ने राज को चुप कराया और समझाया, "अरे दोस्त! इतना डरने की क्या बात है? हौसला रखो। अगर तुम रोने लगोगे तो और डरोगे। अभी तो ये सोचो कि कैसे यहा से निकला जाये? वह देखो, मैंम छाता लेकर स्कूल की तरफ जा रही हैं। मैम को पुकारो!"
राज ने आँसू रोके। हिम्मत से काम लिया, फिर दोनों ने मैंम को आवाज़ लगायी। मैंम पेड़ के पास आ गयी, फिर मैंम राज और नियाज को साथ स्कूल ले गयी।
स्कूल पहुँचकर राज ने नियाज से वादा किया कि, "अब वह जरा सी परेशानी में कभी घबरायेगा नहीं और रोयेगा भी नहीं।"
नियाज राज की बात सुनकर बहुत खुश हुआ और राज को समझाते हुए बोला कि, "हमें हमेशा समस्या का हल ढूँढना चाहिए। ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका कोई हल न हो। अक्सर जब हम लोग मुसीबत को देखकर घबरा जाते हैं तो रोने लगते हैं। छोटी सी छोटी समस्या भी बहुत बड़ी हो जाती है और जब हम लोग धैर्य के साथ समस्या का हल ढूँढ लेते हैं तो समस्या बिल्कुल खत्म हो जाती है। यह हमारे ऊपर है कि हमें समस्या से घबराना है या समस्या से निकलना है।"
राज भी हँसकर बोला, "हाँ, मित्र! आज मुझे तुम्हारी बात समझ में आ गयीं। अब मैं छोटी-छोटी बातों पर रोऊँगा नहीं। छोटी-छोटी समस्या से घबराऊँगा नहीं। हिम्मत के साथ हर समस्या का समाधान ढूँढ लूँगा और अपने जीवन में आगे बढूँगा। इतना कहकर राज ने नियाज को गले लगा लिया। 

संस्कार सन्देश-  
हर समस्या का समाधान जरूर होता है। हमें बस धैर्य रखना चाहिए।

लेखिका-
शमा परवीन (अनुदेशक)
पूर्व माध्यमिक विद्यालय टिकोरा मोड़, तजवापुर, बहराइच (उ०प्र०)

कहानी वाचक-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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