142/2024, बाल कहानी-13 अगस्त


बाल कहानी- फलक
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फलक एक चंचल और होनहार लड़की थी। फलक के घर के पास ही आम की बगिया थी। फलक को आम बहुत पसन्द था। वह पेड़ पर चढ़कर आम तोड़कर खाती थी।
फलक के अभिभावक रोज उसे समझाते थे कि-, "बेटा! पेड़ पर मत चढ़ा करो! चोट लग जायेगी।" पर फलक एक कान से सुनती और दूसरे कान से निकाल देती।
एक दिन की बात है। फलक सुबह-सुबह उठकर बगिया में गयी और आम के पेड़ पर वहाँ रखी नसेनी लगाकर चढ़ गयी। फलक अभी नींद में थी। पूरी तरह से उसकी आँख नींद से भरी थी। तभी उसका पैर पेड़ की डाल से फिसला और वह धड़ाम से नीचे गिर गयी। नीचे गिरते ही वह चिल्लाई! फलक की चीखने की आवाज सुनकर सभी लोग इकट्ठा हो गये।
फलक के अभिभावक जब आये तो फलक बेहोश थी। सभी लोग मिलकर डॉक्टर के पास ले गये।
डॉक्टर ने बताया कि पैर में सूजन आ गयी है, जो कुछ दिनों में ठीक हो जायेगी।
कुछ दिनों तक फलक का इलाज चला। फिर वह ठीक हो गयी। फलक को एहसास हुआ कि उसके घर वाले उसकी वजह से परेशान हुए और खुद उसे भी बहुत तकलीफ हुई। उसने अपने अभिभावक से अपनी गलती के लिए माफी माँगी और भविष्य में ऐसा न करने के लिए खुद से और अपनों से वादा किया। सभी ने उसको माफ कर दिया। 

संस्कार सन्देश-
हमें अपने अभिभावक की बातें हमेशा माननी चाहिए और उनका अनुकरण करना चाहिए।

लेखिका-
शमा परवीन 
पूर्व मा० वि० टिकोरा मोड़
तजवापुर, बहराइच (उ०प्र०)

कहानी वाचक-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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