154/2024, बाल कहानी- 30 अगस्त
बाल कहानी- शरारती कौवा
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एक घने जंगल में बहुत सारे पशु और पक्षी रहते थे। उसी जंगल में एक वृक्ष पर एक शरारती कौवा रहता था। कौवे को जंगल में घास चर रहे जानवरों को सताने में बहुत आनन्द आता था। मौका मिलने पर वह पक्षियों को भी परेशान करता था।
कौवा अपनी चोंच से जानवरों की पीठ पर प्रहार करता था और उसे ऐसा करने में बहुत मजा आता था। उसके प्रहार से जानवरों को चोट लग जाती थी। वह चिल्लाने लगते थे। वह छोटे पक्षियों को भी वैसे ही सताता था।
एक दिन सभी जानवर और पक्षियों ने मिलकर बैठक की। सभी पक्षियों ने मिलकर एक योजना बनाई। उन्होंने दूसरे जंगल में रहने वाले सोनू बाज को सारी बात बतायी। सोनू बाज ने सभी जानवरों और पक्षियों की मदद करने का फैसला किया। अगले दिन सोनू बाज उस जंगल में आया। कौवा अपने घोंसले में बैठा हुआ आराम कर रहा था। सोनू बाज ने अपनी चोंच मारकर कौवे को जगाया। कौवा चिल्लाने लगा, फिर सोनू बाज ने उसे अपनी चोंच में उठाकर लटका लिया और चारों तरफ हवा में उड़ाने लगा।
कौवा चिल्लाता जा रहा था और बाज से मदद माँग रहा था। सोनू बाज ने उससे कहा-, "अब पता चला, दूसरों को कष्ट देने में कैसा लगता है!" कौवे को अपनी गलती का एहसास हो गया। उसने सोनू बाज से हाथ जोड़कर माफी माँगी कि-, "आज के बाद वह किसी जानवर और पक्षी को नहीं सतायेगा।" सोनू बाज ने उसे नीचे उतार दिया। कौवा बहुत शर्मिन्दा था। शर्म के मारे उसने उस जंगल को छोड़ दिया और दूसरे जंगल में चला गया।
संस्कार सन्देश-
शेर को सवा शेर जरूर मिलता है। अतः हमें अपने बल का घमण्ड नहीं करना चाहिए।
लेखक -
शालिनी (स०अ०)
प्रा० वि० रजवाना,
सुल्तानगंज (मैंनपुरी)
कहानी वाचक-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात
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