स्वतन्त्रता दिवस
स्वतन्त्रता दिवस की इस बेला पर,
हम रंजिशें सारी आज भुलाकर।
याद करें उनको सब मिलकर,
आज़ादी के लिए जिन्होंने प्राण करे अपने न्यौछावर।।
जब मातृभूमि परतन्त्रता में जकड़ी थी,
पैरों में जिसके नफरतों की बेड़ी थी।
तब जिन्होंने अपने लहू से सींचा,
अपने भारत का यह सुन्दर बगीचा।।
काँपा था ब्रिटिश शासन भी,
जब वीरों ने भरी हुँकार थी।
भगत सिंह ने फाँसी ली थी,
और किसी ने सीने पर गोली खायी थी।।
जिन्होंने अपने शीशों की भेंट चढ़ायी,
और मातृभूमि को आज़ादी दिलवायी।
आओ! प्रण करें हम सब मिलकर,
दाग न लगने देंगे मातृभूमि के सम्मान पर।।
रचयिता
नगमा शकूर,
सहायक अध्यापक,
संविलियन विद्यालय किसरूआ,
विकास क्षेत्र-जगत
जनपद-बदायूँ।
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