149/2024, बाल कहानी-23 अगस्त


बाल कहानी- घुघुती का घोंसला
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किसी जंगल में एक बड़ा पेड़ था। उस पर बहुत से पशु-पक्षी रहते थे। उसी पेड पर एक घुघुती का घोंसला था। उसमें उसके चार बच्चे थे। घुघुती दिन में जंगल में जाकर अपने बच्चों को दाना लाकर उन्हें खिलाती थी। बच्चे भी अपनी माँ को देखकर खुश रहते थे। 
एक दिन बहुत वर्षा हो रही थी। घुघुती अपने पंखों को फैलाकर उसका छाता बनाकर अपने बच्चों के पास बैठी थी। उसी समय कौआ भी वहाँ आ गया। कौवे ने घुघुती से कहा-, "बहिन! तुम क्या कर रही हो?" 
घुघुती ने कहा-, "इस पेड़ पर मेरा घोंसला है। इसमें मेरे चार बच्चे हैं। इतनी जोर से बर्षा हो रही है कि मेरे बच्चे भीग जायेगें, इसलिए मैं अपने बच्चों को भीगनें से बचा रही हूँ। तब कौवे ने घुघुती से कहा-, "मैं भी तुम्हारी सहायता करूँगा।" कौवे ने भी अपने पंख फैलाकर बच्चों के लिए छाता बना दिया। उस दिन से कौआ भी घुघुती व व उसके बच्चों के साथ रहने लगा और उन सभी की दोस्ती हो गयी।

संस्कार सन्देश-
हमें भी आपस में प्रेम से रहकर एक-दूसरे की सहायता करनी चाहिए |

लेखिका-
दमयन्ती राणा (स०अ०)
रा० उ० प्रा० वि० ईड़ाबधाणी
चमोली (उत्तराखण्ड)

कहानी वाचक-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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