प्रगट भए बाँके बिहारी
भादो मास कृष्ण पक्ष,
रात कारी अंधियारी।
प्रगट भए बाँके बिहारी
चहुँ दिशी खुशियाँ भारी।
काली अंधियारी रात में विराजे
और जग में किया उजियारा
छूट गए सारे बंधन वसुदेव के
खुल गया कोठारी का हर ताला।
सुंदरता की उपमा बने,
नटखट कोई उनसा कहाँ हुआ
दूध दही माखन चुराया,
ग्वाल बालों को सखा बनाया
यमुना का तट
गोपियों का संग।
राधा रानी साथ।
निराली थी हर बात।
श्रृंगार प्रेम वात्सल्य करुणा
सब रस निकले श्री चरणों से।
मोह लिया जन-जन का मन।
अर्पित तन मन श्री चरणों में
कृपा करो हे कृपा निधान,
आई रात घनेरी फिर से।
काटो सारे बंधन तुम।
उजली खुशियाँ आएँ फिर से।
रचयिता
सुधा गोस्वामी,
सहायक शिक्षिका,
प्रथमिक विद्यालय गौरिया खुर्द,
विकास क्षेत्र-गोसाईंगंज,
जनपद-लखनऊ।
Comments
Post a Comment