152/2024, बाल कहानी- 28 अगस्त


बाल कहानी- चिड़िया रानी
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समर अपनी कक्षा में पढ़ाई कर रहा था। तभी उसका ध्यान कमरे की खिड़की पर गया, जहाँ बहुत-सी चिड़ियों की चीं-चीं की आवाज़ें आ रही थी। तभी समर की टीचर ने उसे टोका और कहा-, "समर! तुम्हारा ध्यान कहाँ है.. तुम पढ़ाई पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते हो? जब देखो, इधर-उधर शैतानी में ही तुम्हारा दिमाग लगा रहता है।" यह सुनकर समर बिना कुछ कहे पढ़ाई करने लगा लेकिन कुछ ही समय बाद समर फिर से कक्षा की खिड़की से बाहर की तरफ देखने लगा। जहाँ से चिड़ियों की चीं-चीं की आवाज़ें आ रही थी। चिड़ियों की आवाज़ें सुनकर समर की टीचर ने जब खिड़की से बाहर देखा तो एक चिड़िया के पैर पेड़ की डाली में फँसे हुए थे। वह चिड़िया काफी झटपटा रही थी और उस पेड़ की डाली से निकालने की कोशिश कर रही थी। परन्तु चिड़िया के पैर पेड़ की डाली में इस तरह फँसे हुए थे कि उसकी सारी कोशिश नाकाम हो रही थी। यह देखकर बहुत-सी चिड़ियाँ उसे निकालने की कोशिश कर रही थीं और चीं-चीं की आवाज़ें निकाल रही थी। जैसे ही टीचर ने देखा तो उसने समर से कहा, "क्या तुम इस चिड़िया को पेड़ की डाली से निकाल सकते हो?" समर ने कहा, "हाँ!" और वह बाहर की तरफ दौड़ के उस पेड़ के पास पहुँच गया एवं उसने पेड़ पर फँसी चिड़िया को निकाल के जमीन पर रख दिया। कुछ ही मिनट में वह चिड़िया खुले आसमान में उड़ने लगी और सभी बच्चे तालियाँ बजाने लगे।
उड़ती हुए चिड़िया को देखकर लगा, जैसे वह अपने पंख फैलाये खुले आसमान में 'धन्यवाद' कर रही हो समर का।

संस्कार सन्देश-
दूसरों की सहायता करना ही मानव का सच्चा धर्म है।

लेखिका- 
रचना तिवारी (स०अ०) 
प्राथमिक विद्यालय ढिमरपुरा
(पुनावली-कलां) बबीना, झाँसी (उ०प्र०)

कहानी वाचक-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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