155/2024, बाल कहानी - 31 अगस्त


बाल कहानी- बच्चों का अधिकार
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बरसात के दिन थे। सभी बच्चे हँसी-खुशी से विद्यालय जा रहे थे लेकिन नन्हीं सी नयनतारा उन सभी बच्चों को केवल देख रही थी। वह चाहकर भी स्कूल नहीं जा पा रही थी। इसका कारण था, अपने छोटे भाई-बहनों तथा घर की देखभाल करना। जब भी स्कूल से कोई शिक्षक उसके घर आता और उसके स्कूल न आने का कारण पूछता तो वह स्वयं बताती कि-, " मेरी माँ खेत पर काम करने गयी हैं और मैं घर तथा छोटे भाई-बहन की देखभाल कर रही हूँ।"
एक बार की बात है, जब शिक्षक उसके घर गये तो उनकी मुलाकात नयनतारा की माँ से हुई। उसकी माँ ने रोते हुए बताया कि-, "यद्यपि मेरा पति काम पर प्रतिदिन जाता है लेकिन शराब की बुरी आदत के कारण घर तथा बच्चों की देखभाल बिल्कुल नहीं करता है।" शिक्षकों ने उसकी माँ को ढाँढस बँधाया और अभिभावक मीटिंग में इस बार नयनतारा के पिताजी को भेजने के लिए कहा।
मीटिंग के दिन उसके पिता जी स्कूल आये। उन्हें समझाया गया कि-, "शिक्षा, स्वास्थ्य और भोजन सभी बच्चों का अधिकार है। उससे उन्हें वंचित नहीं किया जा सकता है।" उसके बाद का दृश्य बदला-बदला सा है। वह बच्ची भी अब अन्य बच्चों के साथ प्रतिदिन स्कूल आती है। उसका परिवार भी अन्य परिवारों की तरह हँसी-खुशी रहने लगा है।

संस्कार सन्देश-
अच्छी शिक्षा तथा अच्छी सेहत, अच्छा भोजन बच्चों का अधिकार है , यह उससे उन्हें वंचित न करें।

लेखिका-
सरिता तिवारी (स०अ०)
कम्पोजिट स्कूल कन्दैला
मसौधा (अयोध्या)

कहानी वाचक-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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