दिये ज्ञान के जगमगाने लगे हैं
दिये ज्ञान के जगमगाने लगे हैं,
नये सुर में अब गुनगुनाने लगे हैं।
न रहे अशिक्षा का अँधियारा जगत में,
अलख साक्षरता की जगाने लगे हैं।
बीती काली निशा, जागरण का समय है
विहग सब प्रभा गीत गाने लगे हैं।
दिख रहा है बदलता रूप बेसिक का,
कर संकल्प पूर्वाग्रह मिटाने लगे हैं।
हो बहुमुखी विकास इन नौनिहालों का,
आँखों में नए सपने टिमटिमाने लगे हैं।
पढ़ लिख कर कुछ कर दिखाना है,
मन में नई उम्मीद जगाने लगे हैं।
है धनी यहाँ हर कोई प्रतिभा का,
हुनर को नई दिशा दिखाने लगे हैं।
दिये ज्ञान के जगमगाने लगे हैं,
नए सुर में अब गुनगुनाने लगे हैं।
रचयिता
नये सुर में अब गुनगुनाने लगे हैं।
न रहे अशिक्षा का अँधियारा जगत में,
अलख साक्षरता की जगाने लगे हैं।
बीती काली निशा, जागरण का समय है
विहग सब प्रभा गीत गाने लगे हैं।
दिख रहा है बदलता रूप बेसिक का,
कर संकल्प पूर्वाग्रह मिटाने लगे हैं।
हो बहुमुखी विकास इन नौनिहालों का,
आँखों में नए सपने टिमटिमाने लगे हैं।
पढ़ लिख कर कुछ कर दिखाना है,
मन में नई उम्मीद जगाने लगे हैं।
है धनी यहाँ हर कोई प्रतिभा का,
हुनर को नई दिशा दिखाने लगे हैं।
दिये ज्ञान के जगमगाने लगे हैं,
नए सुर में अब गुनगुनाने लगे हैं।
रचयिता
गीता गुप्ता "मन"
प्राथमिक विद्यालय मढ़िया फकीरन,
विकास क्षेत्र - बावन,
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