आओ सीखें
अ अनार का बोला था ।
आम पेड़ से तोड़ा था ।
इमली सच में खट्टी है ।
ईख बहुत ही मिट्ठी है ।
उल्लू बैठा डाल पर ।
ऊन रखा रूमाल पर।
एड़ी फट गई धूप में ।
ऐनक गिर गई कूप में ।
ओखल में मत रखना सिर ।
औरत तेज बहुत है डर ।
अंगद जैसा पैर जमा
अः अः कर फिर चिल्ला ।।
रचयिता
शिल्पी आही,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गढ़ी चौखंडी,
विकास खण्ड-बिसरख,
जनपद-गौतमबुद्धनगर।
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