माँ मुझको बस्ता दिलवा दो
माँ मुझको बस्ता दिलवा दो,
पढ़ने का मन करता है ,
हाथ में अपने काॅपी कलम,
पकड़ने का मन करता है ।
देखो न माँ सारे बच्चे,
विद्यालय को जाते हैं,
मुझको घूमता देख देख,
हँसते और चिढ़ाते हैं ,
विद्यालय की हर एक सीढ़ी,
चढ़ने का मन करता है ।
देखो न माँ विद्यालय में,
दूर से गुरू जी आते हैं ,
बड़े प्यार से अच्छी बातें,
सबको वो बताते हैं ,
उनकी ऊँगली थामकर,
आगे बढ़ने का मन करता है।
देखो न माँ पापा कितनी,
मेहनत से पैसा कमाते हैं,
पर बिना ज्ञान के कभी कभी,
वो ठगे ठगे रह जाते हैं,
ज्ञान से इक सुन्दर जीवन को,
गढ़ने का मन करता है ।
माँ मुझको बस्ता दिलवा दो,
पढ़ने का मन करता है ।
रचयिता
वन्दना (वान्या ),
सहायक अध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय सरौरा नवीन,
विकास खण्ड-सिधौली,
जिला-सीतापुर, (उ.प्र.)।
मोबाइल-9453672244
आ0 वंदना जी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।उत्तम सृजन
ReplyDeleteसुन्दर रचना ।मुझे भी मिशन शिक्षण संवाद के सीतापुर के वॉट्सएप्प ग्रुपमे जोड़े।
ReplyDeleteमो.न.9026425290