नारी तू प्रतिमा सृजन की।
मुख सजाये स्मित मनोहर
मन्द झोंके सी पवन की।
शक्ति का अवतार है तू
नारी तू प्रतिमा सृजन की।
न द्वितीयक तू कहीं भी,
तन से कोमल मन प्रबल है
जो जला दे हर शिला को
तुझमें तो वह आत्मबल है,
आत्मचेतस, क्षितिस्वरूपा
तुझमें ऊँचाई गगन की।
नारी तू प्रतिमा सृजन की।।
बेटियों के रूप में तू
घर में चिड़ियों सी चहकती,
नन्हीं कलियों के सरिस
पितृ-मातृ के उर में महकती।
आन है तू अपने कुल की,
शान तुझसे ही चमन की।
नारी तू प्रतिमा सृजन की।।
रचयिता
डॉ0 श्वेता सिंह गौर
सहायक शिक्षिका
कन्या जूनियर हाई स्कूल बावन,
हरदोई।
मन्द झोंके सी पवन की।
शक्ति का अवतार है तू
नारी तू प्रतिमा सृजन की।
न द्वितीयक तू कहीं भी,
तन से कोमल मन प्रबल है
जो जला दे हर शिला को
तुझमें तो वह आत्मबल है,
आत्मचेतस, क्षितिस्वरूपा
तुझमें ऊँचाई गगन की।
नारी तू प्रतिमा सृजन की।।
बेटियों के रूप में तू
घर में चिड़ियों सी चहकती,
नन्हीं कलियों के सरिस
पितृ-मातृ के उर में महकती।
आन है तू अपने कुल की,
शान तुझसे ही चमन की।
नारी तू प्रतिमा सृजन की।।
रचयिता
डॉ0 श्वेता सिंह गौर
सहायक शिक्षिका
कन्या जूनियर हाई स्कूल बावन,
हरदोई।
नारी को नमन।प्रेरणादायक रचना
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