दिल में हमारे सिर्फ हिंदुस्तान है

हिमालय की ललकार है,
ये सिन्धु की पुकार है,

कायरों के वार से,
माँ भारती ज़ार ज़ार है।।

सह नहीं सकते हम अब,
आतंक की तलवार को,

कफ़न ओढ़कर जा रहे ,
हम शत्रु के संहार को।।

जी गए तो आयेंगे,
वापस तेरे ये वीर पूत,

वादा करते हैं ज़रूर ,
लहू शत्रु का बहायेंगे।।

जननी तेरा क़र्ज़ हम,
ऐसे चुका कर जायेंगे,

सिर दुश्मन का झुकायेंगे ,
या काटकर ले आयेंगे।।

लवों पर गंगा  हमारे ,
हथेली पर जान है,

राम बसते हैं दिलों में ,
रगों में तूफ़ान है।।

निगाहों में शूल हैं ,
जिह्वा पर देशगान है,

सरफ़रोश हम दिल में हमारे
सिर्फ हिंदुस्तान है।

सिर्फ हिंदुस्तान है ।।

रचयिता
पूजा सचान,
(स०अ०),
प्रा०वि०गुमटी नगला उ०द०,
विकास खण्ड- बढ़पुर,
जनपद-फर्रुखाबाद।

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