जल


जल जीवन का साथ,
बिन जल जीवन सून।
जल का संरक्षण करो
फसलें    होंगी   दून।।

               जल का सीमित स्रोत,
               इतना   रखिए  ध्यान।
               जल  बर्बाद  न करना,
               पैदा  न   होगा  धान।।

संचय  जल  का करो,
बनवा  कर   के  मेंड़।
धान-गन्ना सीमित लो,
न लो लिपटा का पेड़।।

                टोंटी खुला छोड़  कर,
                जल  न करो   बर्बाद।
                जल  बचाकर रखोगे,
                हो  जाओगे आबाद।।

जल की महत्ता समझो,
जल है जीवन का सार।
जल गया  तो सब गया,
जीवन   हुआ   बेकार।।

रचयिता
रणविजय निषाद(शिक्षक),
पूर्व माध्यमिक विद्यालय कन्थुवा,      
विकास खण्ड-कड़ा, 
जनपद-कौशाम्बी (उत्तर प्रदेश)।

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