प्रभात

सूर्य की नयी किरणों के साथ,
    प्रतिदिन होता एक नया प्रभात।
छा जाती है चहुँदिस लालिमा,
    मिट जाती है अँधेरी कालिमा
नयी किरण के साथ होती है ,
    मन में एक नयी उमंग, एक नयी तरंग।
मुस्कुराते हैं पुष्प, चहचहाते हैं विहंग।
हो जाती है सुबह, बीत जाती है रात।
सूर्य की नयी किरणों के साथ,
    प्रतिदिन होता एक नया प्रभात।।

खिल उठती है कली-कली,
    महक उठती है गली-गली।
भाता है भौरों का गुनगुनाना,
    पक्षियों का चहचहाना।
प्रभात के आगमन से,
    हो जाता है दिन सुहाना।
चलो हों जाये हम सब एक,
    थाम लें एक-दूजे का हाथ।
सूर्य की नयी किरणों के साथ,
    प्रतिदिन होता एक नया प्रभात।।

रचयिता
आरती साहू,
सहायक अध्यापक,
प्रा0 वि0 मटिहनियाँ चौधरी,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद-महराजगंज।

Comments

Total Pageviews