होली आई

जंगल के राजा शेर
ने एक सभा बुलाई ।
प्रहलाद की भक्ति व
होली की बात बताई ।।

खेलेंगे जमकर कल
होली हम  सब भाई ।
द्वेषता - नफरत  से
सदा मुसीबत आई ।।

जंगल में रहे मंगल
दुआ करो मेरे भाई ।
लाओं रंग बिरंगे रंग
रंगे प्यारी होली आई ।।

रचयिता
गोपाल कौशल
नागदा जिला धार मध्यप्रदेश
99814-67300
रोज एक - नई कविता 

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