१९२- ओमवीर सिंह कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय गढ़ी श्याम, कांधला, शामली
💎🏅अनमोल रत्न🏅💎
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद शामली से एक ऐसे अनमोल रत्न शिक्षक साथी से करा रहे हैं। जिनके प्रेरक और समर्पित कार्यों को हम सब अकल्पनीय मान सकते हैं। परन्तु वह एक ऐसा सत्य है जो हम सबको कुछ करने और सोचने पर मजबूर कर देता है। हमें नहीं लगता है कि हम सबके बीच का कोई भी पुरस्कार की प्रेरणा, विद्यालय में इतना परिवर्तन कर सकती है। जितना कि एक शिक्षक की सकारात्मक सोच की शक्ति, अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित और राष्ट्र सेवा का अनुकरणीय भाव से कर सकता है। आपके यही मानवीय गुणों ने एक विद्यालय की छात्र संख्या को 68 से 665 पहुँचा दिया और दूसरे विद्यालय में मात्र दो वर्ष के प्रेरक प्रयासों से 22 छात्र संख्या को 107 तक पहुंचा दिया है। जो हम जैसे हजारों शिक्षकों के लिए प्रेरक और अनुकरणीय है।
आइये जानते हैं एक अनमोल रत्न के अनमोल प्रयासों को:-
सर्वप्रथम तो मैं प्राथमिक शिक्षा की उन्नति में आशा और विश्वास का दीपक प्रज्वलित कर रहे संत समागम “मिशन शिक्षण संवाद” के सभी अनमोल रत्नों को वंदन करता हूं अभिनंदन करता हूं जिनके प्रयास से शिक्षा जगत गौरवान्वित पल्लवित और पोषित
हो रहा है।
हो रहा है।
द्वितीय वंदन मैं भाई अनुज राठी जी प्रभारी जनपद शामली को करना चाहूंगा जिन्होंने पहली बार मुझे प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ ग्रुप में स्थान दिया तथा मुझे आप सब का मार्गदर्शन मिलना संभव कराया
मेरी पहली नियुक्ति 31 अगस्त-1997 में प्राथमिक विद्यालय नंबर-1 जलालाबाद ब्लॉक- थाना भवन, जनपद -शामली में मृतक आश्रित कोटे से सहायक अध्यापक के पद पर हुईl यह विद्यालय मेरे घर से लगभग 45 किलोमीटर दूर थाl विद्यालय के नाम पर चार दीवारों से घिरी एक इमारत थी जिस पर टूटी हुई छत और खुला मैदान था। विद्यालय की वह अवस्था आज भी याद आती है तो विभाग की गरीबी पर तरस और आत्मग्लानि की पीड़ा से मन कराह उठता है। व्यथा यह थी कि विद्यालय के प्रधानाध्यापक विद्यालय के रजिस्टरों को एक छोटी सी पेटी में रख कर विद्यालय के पड़ोसी के घर में रखकर जाते थे और सुबह उठा कर पुनः विद्यालय में लाते थेl लेकिन समय बदला और सर्व शिक्षा अभियान से विद्यालय को नई बिल्डिंग मिल गई। जिससे प्राथमिक विद्यालय का अस्तित्व बन गयाl विद्यालय कस्बे के बीच में थाl बाउंड्रीवाल न होने के कारण विद्यालय में व्यवधान और सुरक्षा हमारी चिंता का विषय बना रहता थाl हमारे साथी भाई भूप सिंह प्रभारी बने तो हमने योजना बनाकर इलेक्शन से चार छह महीने पूर्व स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कस्बे के चेयरमैन अशरफ अली खान साहब को निमंत्रित किया और जन समुदाय के सामने पल्ला फैलाकर विद्यालय के लिए बाउंड्री वाल मांग ली। हमारा सौभाग्य कहिए या चेयरमैन साहब की उदारता उन्होंने कहा बाउंड्री वाल के लिए पुरानी ईट यदि काम में आ सके तो मैं कल भेज देता हूँ। कस्बे में CC कार्य चल रहा है पुरानी ईंटों का वहां ज्यादा इस्तेमाल नहीं। हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और खडंजे की ईंटों से दीवार बनाकर एक आलीशान प्राथमिक विद्यालय तैयार हो गया। उस समय कस्बे में लगभग 8 प्राइवेट स्कूल थे जिनमें हजारों बच्चे पढ़ते थे। हमारे विद्यालय में मात्र 68 छात्र-छात्राएं पढ़ते थे जिनकी उपस्थिति भी बहुत कम रहती थी। विद्यालय विकास के लिए मैंने कठोर निर्णय लिया मैंने विद्यालय के पास ही कमरा लेकर वहीं पर रहना शुरू कर दिया। दोपहर के बाद विद्यालय के बच्चों को निशुल्क एक्स्ट्रा क्लास प्रारंभ की। इसका इतना सुखद परिणाम रहा कि 5 वर्षों में ही विद्यालय की छात्र संख्या 665 हो गई थी विद्यालय इतना आकर्षक था कि एक बार जेडी मैम और डाइट प्राचार्य जी ने निरीक्षण पंजीका में यह विद्यालय अन्य जनपदों के लिए भी अनुकरणीय लिखा।प्रवेश का आलम यह हो गया था कि नवीन प्रवेश के लिए 1 जुलाई में प्रवेश शुरू करके 2 जुलाई को ही प्रवेश बंद करने होते थे विद्यालय में बिजली फिटिंग और हर रूम में फैन की व्यवस्था स्थानीय लोगों के सहयोग से वर्ष 2002 में ही हो गई थी। यह मेरे पहले संघर्ष की कहानी है जहां मैंने शिक्षा का क ख ग सीखा। उस कर्मभूमि को वंदन जिसने इतना मान सम्मान दिया
उच्च प्राथमिक विद्यालय में शिक्षण की लालसा और उत्साह मुझे 8 मार्च-2015 को कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय गढी श्याम में खींच लाई। यहां आकर देखा तो मन बहुत दुखी हुआ 18 -20 छात्र/ छात्राओं का यह विद्यालय एक बड़ा घास का मैदान टूटे हुए शौचालय, विद्यालय के पीछे पड़ौसियो द्वारा डाला गया कूड़ा-करकट और सबसे दुखद सैकड़ों वर्षो से ग्रामवासी होलिका दहन भी इसी विद्यालय में करते थे जिसकी अवशेष त्यौहार के बाद कमरों और मैदानों में उड़ते रहते थे। यह समझिए कि उसका चित्र बनाना संभव नहीं है कई दिनों तक चिंतित देखकर पत्नी ने कारण पूछा तो स्कूल का हाल बताया। "यह आपके पहले विद्यालय से तो खराब नहीं है"- पत्नी ने भूतकाल का संघर्ष याद दिलाया। मैं समझ गया कि 18 वर्ष बाद फिर वहीं से शुरुआत करनी है नए उत्साह और विश्वास से अगले दिन विद्यालय पहुंचा। स्कूल छुट्टी के बाद स्थानीय लोगों से संपर्क किया। विद्यालय के संबंध में उनकी राय जानीl पुराना हाउस होल्ड सर्वे का अध्ययन किया और गांव में जाकर संबंधित आयु वर्ग के बच्चे चिन्हित किएl जुलाई माह में विद्यालय खुलने पर स्वच्छता अभियान चलाया। गांव में रैली निकाली। विद्यालय के निकट के और गांव के लोगों को स्वच्छता अभियान से जोड़ा 18 वर्ष की सेवाकाल के बाद अब विद्यालय की आर्थिक सेवा करने का भी समय आ गया था और 3 माह का वेतन विद्यालय को अनुदान कर दिया। विद्यालय में फुलवारी लगाई फुलवारी के लिए रोड का निर्माण कराया और सभी बच्चों के साथ मिलकर कार्य किया इस सब में 4 महीने गुजर गए। विद्यालय के सामने छोटी बाउंड्री वाल होना अभी भी एक समस्या थी इसको ऊंचा करने के लिए पुराना तरीका याद आया ग्राम प्रधान जी की मदद ली और ग्राम वासियों का सहयोग लिया। बाउंड्री वाल का कार्य संपन्न करायाl
विद्यालय में छात्र संख्या में बढ़ोतरी करना अभिनव चुनौती सामने थी यहां मेरा पुराना अनुभव काम आया। यह विद्यालय मेरे घर से मात्र 3 किलोमीटर दूर है मैंने दोपहर बाद यहां पर ही एक्स्ट्रा क्लास शुरु की जो कि आज तक लगातार जारी है स्थानीय लोगों को विद्यालय में आस्था और विश्वास के साथ प्रेरित किया उनके विश्वास को और अधिक मजबूत करने के लिए मैंने अपने दोनों पुत्रों हर्ष जांगिड़ कक्षा-8 और पीयूष जांगिड़ कक्षा-7 को विद्यालय में एडमिशन किया। विद्यालय विकास के लिए मैंने नवाचार के रूप में विद्यालय प्रबंध समिति और ग्राम शिक्षा समिति की एक बैठक आहूत की। जिसमे मैंने विद्यालय को अंग्रेजी माध्यम से संचालित करने की योजना बनाई। इस उद्देश्य हेतु विद्यालय में विज्ञान और गणित विषय एनसीईआरटी पाठ्यक्रम एसएमसी के सहयोग से लागू किया। इसके आशातीत परिणाम हुए। मात्र 2 वर्ष में ही विद्यालय के छात्र संख्या 107 हो गई है मैंने स्वयं और ग्रामवासियोंके सहयोग से विद्यालय में कंप्यूटर और स्मार्ट क्लास हेतु प्रोजेक्टर लगवाएं। आज सभी गुरुजनों के आशीर्वाद से विद्यालय अनवरत प्रगति कर रहा है सभी समाचार पत्रों और न्यूज़ चैनलों ने विद्यालय के अभिभावकों और छात्रों से बातें कर कवरेज दी है बच्चे बहुत ही उत्साहित और प्रसन्न हैं विश्वास करना बच्चों की खुशी देख कर मैं अपना संघर्ष और कठिनाइयों को भूल जाता हूं शाम को स्कूल से जाने का मन नहीं होता हैl सुबह आता हूं तो बच्चे दौड़कर घेर लेते हैंl वह एहसास कल्पनातीत है पिछले 2 वर्षों से मैंने किसी भी रविवार को या सरकारी छुट्टी का लाभ नहीं लिया रविवार को विद्यालय की बागवानी और बच्चों को सुलेख तथा चित्र कला सिखाता हूं।
विद्यालय की उपलब्धि के बारे में तो केवल यही निवेदन करना चाहूंगा कि विद्यालय में मात्र 2 वर्ष में ही 22 से 107 की छात्र संख्या अर्जित की है विद्यालय में इस वर्ष जनपद स्तरीय स्वच्छता पुरस्कार प्राप्त किया है तथा जनपदीय क्रीड़ा प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए मंडल के लिए क्वालीफाई किया है
और इन सबसे आकर्षक शैक्षिक सत्र 2017 -18 में 71 स्टूडेंट्स पब्लिक स्कूलों से आए हैं तथा ग्रामवासी विद्यालय विकास के लिए अनुदान दे रहे हैं जिसके लिए वर्ष 2016 में 25000 तथा 2017 में ₹ 18000 अनुदान प्राप्त हुआ।
और इन सबसे आकर्षक शैक्षिक सत्र 2017 -18 में 71 स्टूडेंट्स पब्लिक स्कूलों से आए हैं तथा ग्रामवासी विद्यालय विकास के लिए अनुदान दे रहे हैं जिसके लिए वर्ष 2016 में 25000 तथा 2017 में ₹ 18000 अनुदान प्राप्त हुआ।
आपने मौका दिया है बातें करने का बहुत मन है बातें तो बहुत है मगर मेरी कलम इतनी परिपक्व नहीं है कि मैं अपने भूतसे कहानी और संघर्ष की कहानी लिख सकूं।
आप सभी का बहुत-बहुत आभार कृपया अपने आशीर्वाद और मार्गदर्शन से से पोषित करते रहें
आपका अनुज
ओमवीर सिंह
प्रभारी प्रधानाध्यापक
कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय गढ़ी श्याम, ब्लॉक -कांधला जनपद -शामली
आप सभी का बहुत-बहुत आभार कृपया अपने आशीर्वाद और मार्गदर्शन से से पोषित करते रहें
आपका अनुज
ओमवीर सिंह
प्रभारी प्रधानाध्यापक
कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय गढ़ी श्याम, ब्लॉक -कांधला जनपद -शामली
मित्रों अपने देखा कि किसी व्यक्ति को जब अपने काम में आनन्द मिलने लगे तो असंभव नामक शब्द स्वयं में सम्भव के रूप में सहयोग करने लगता है। जिससे परिणाम स्वयं शिखर पर जा पहुँचता है। ऐसे समर्पित गुरू और सहयोगी विद्यालय परिवार को मिशन शिक्षण संवाद परिवार की ओर से उज्जवल भविष्य की कामनाओं के साथ हार्दिक शुभकामनाएं!
मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण और शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से शिक्षा के उत्थान एवं शिक्षक के सम्मान की रक्षा के लिए आपस में हाथ से हाथ मिला कर, मिशन शिक्षण संवाद के अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनकर, शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप सब अनमोल रत्न शिक्षक साथी हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सवेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
आओ हम सब हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक साथी प्रेरक कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण, ऑडियो, वीडियो और फोटो भेजने का Whatsapp No.- 9458278429 एवं ईमेल- shikshansamvad@gmail.com है।
साभार: मिशन शिक्षण संवाद उ० प्र०
निवेदन:- मिशन शिक्षण संवाद की समस्त गतिविधियाँ निःशुल्क, स्वैच्छिक एवं स्वयंसेवी हैं। जहाँ हम आप सब मिलकर शिक्षा के उत्थान और शिक्षक के सम्मान के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसलिए यदि कहीं कोई लोभ- लालच या पद प्रतिष्ठा की बात कर, अपना व्यापारिक हित साधने की कोशिश कर रहा हो, तो उससे सावधान रह कर टीम मिशन शिक्षण संवाद को मिशन के नम्बर-9458278429 पर अवश्य अवगत करा कर सहयोग करें।
धन्यवाद अनमोल रत्न शिक्षक साथियों
विमल कुमार
कानपुर देहात
02/02/2018
विमल कुमार
कानपुर देहात
02/02/2018
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