जय भोलेनाथ


बच्चों जानो तुम शिव आकार
जटा में सुशोभित चंद्र आकार ।
गले  में  नागराज  जी  बिराजे
जटा से निकली गंगा निर्मल धार ।।

डम - डम  डमरु  एक  हाथ में
चम-चमके त्रिशूल दूसरे हाथ में ।
मस्तक तिलक साजे त्रिनेत्रधारी
माँ गौरी के संग , बैठे कैलाश में ।।

हलाहल पीते ,गले में मुंडमाला
नंदी की सवारी संग पार्वती माँ ।
अंग भभूति लगे,चले ले बरात
शिवरात्री को बने दूल्हा भोला ।।

चढता इन्हें आक,भांग ,धतूरा
पुष्प चढ़े आरती उतारे कपूरा ।
बारह ज्योतिर्लिंग ज्योतिर्मयी
भोले हर काम करें शीघ्र पूरा ।।

रचयिता
गोपाल कौशल
नागदा जिला धार मध्यप्रदेश
99814-67300
रोज एक - नई कविता -1678


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