तुम रुको नहीं और चले चलो

तुम रुको नहीं और चले चलो
तुम झुको नहीं और बढ़े चलो

बातों की दुनिया मे कछु ना
सपनों की दुनिया मे कछु ना
जीवन मे गर कुछ पाना है
अपने पथ पर तुम बढ़े चलो
तुम रुको नहीं और चले चलो।

बेकार के कामन मा कछु ना
फ़र्ज़ी के ख़्वाबन मा कछु ना
जीवन को सफल बनाना हो..
चुपचाप लक्ष्य पर बढ़े चलो...
तुम रुको नहीं और चले चलो।

जीवन मे मंजिल जो चुन लो
उसे पाने की तुम धुन बुन लो
मंज़िल भी कदम तब चूमेगी
बस डटे रहो और बढ़े चलो

तुम रुको नहीं और चले चलो
तुम झुको नहीं और बढ़े चलो।

रचयिता
शचीन्द्र मिश्र "सचिन",
सहायक शिक्षक,
प्राथमिक विद्यालय मछेता,
विकास खण्ड-पिहानी,
जनपद-हरदोई।

Comments

Total Pageviews

1164402