धरा को हरित बनाएँ

धरा के हित के लिए समर्पित
धरा के लिए ही हो सजग
धरा के लिए ही हो संकल्पित
हाँ आ आ हम सब....
धरा को हरित बनाएँ
चलो हाँ, पौधे लगाएँ
रंग-बिरंगी चुनरियाँ
धरा को ओढ़ाएँ ...
धरा को हरित बनाएँ-(3)

देखो कितनी विकल धरा है
कट रहे जो इसके अंग
प्रदूषण का जाल बिछा है
निकला जाता हाँ, दम
ख़त्म हो रही साँसों में
 साँसें भर जाएँ
धरा को स्वच्छ बनाएँ-(2)
चलो नवजीवन पाएँ-(2)
रंग-बिरंगी चुनरिया
धरा को ओढ़ाएँ
चलो हाँ, पौधे लगाएँ
धरा को हरित बनाएँ-(3)

चलो, लगाएँ कहीं पलाश
कहीं चम्पा, चमेली के फूल
अश्वगंधा, एेलोवेरा
नीम, हल्दी औषधि से भरपूर
शुष्क हो रही तप्त धरा की
तपन मिटाएँ
चलो वर्षा ले आएँ -2
धरा का मन हर्षाएँ-(2)
रंग-बिरंगी चुनरियाँ
धरा को ओढ़ाएँ
हाँ, मिल सब पौधे लगाएँ
धरा को हरित बनाएँ -(3)

वन्य-जीवों को मिलेगा आसरा
नाचेंगें, हाँ  आ मयूर
बहेगी कल-कल करती नदियाँ
कलरव गूँजेंगे चहुँओर
लुप्त हो रही ताल-तलैया
अस्तित्व में लाएँ
चलो, जलचर को बचाएँ -2
उन्हें जीवन दे जाएँ-(2)
रंग-बिरंगी चुनरियाँ
धरा को ओढ़ाएँ
चलो, हम पौधे लगाएँ
धरा को हरित बनाएँ-(3)

धरा के हित के लिए समर्पित
धरा के लिए ही हो सजग
धरा के लिए ही हैं संकल्पित
हाँ आ आ हम सब
हाँ, मिल सब पौधे लगाएँ
धरा को हरित बनाएँ -(3)

रचयिता
सारिका रस्तोगी,
सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय फुलवरिया,
जंगल कौड़िया,
गोरखपुर |


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