तुम मेरी आशा हो

एक अध्यापक की रचना अपने छात्रों के लिये जिसमें मैने कल्पना की मेरे बच्चे जब दुनिया में कुछ अपना देने लगेंगे तब शायद मै ये सब उनसे कहना चाहूँगा।

तुम मेरी आशा हो
तुम मेरे जीवन की भाषा हो,
तुम्हे पढ़ाने से सुख मिला
जीने का गुण मिला।

तुम मेरा वृक्ष हो,
जो मेरे ज्ञान का प्रकाश होगा।
तुम जीवन द्वीप हो,
जो मेरे पुण्य का ईनाम होगा।

तुम मेरे माथे का तिलक बनना।
मेरी शिक्षा से दुनिया उज्वल करना।
अध्यापक हूँ ठहरा रहूँगा,
तुम आगे बढ़ते रहना।
तुम ही मेरी कमाई हो
मेरे मन के साईं हो।
जो तुम बन गये
हम सोचेंगे!
हम ही वह हो गये।

Written by
ANAND KUMAR,
Assistant teacher),
Model PS Shahpur Tikari,
Block-Manjhanpur,
District-Kaushambi.

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